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सोशल मीडिया, युवाओं की मानसिक सेहत पर बढ़ता खतरा

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Social media, increasing threat to the mental health of youth

आज का युग डिजिटल क्रांति का है। हर हाथ में स्मार्टफोन और हर जेब में इंटरनेट है। इसने हमारी ज़िंदगी को पहले से आसान बना दिया है, लेकिन क्या यह सच में हमारे लिए अच्छा है? खासतौर पर युवाओं के लिए? पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया ने न सिर्फ हमारी सोच, बल्कि हमारी भावनाओं, हमारे निर्णय और यहां तक कि हमारे जीवन पर भी गहरी छाप छोड़ी है। सोशल मीडिया पर दिल की बात कहना अब आम हो गया है। यहां लोग अपनी खुशियां, गम, प्यार और नफरत सब कुछ साझा करते हैं। लेकिन, यह साझा करना कब हद पार कर जाता है, यह शायद किसी को पता नहीं चलता। मोहब्बत के इज़हार का तरीका बदला, तो मोहब्बत के अंजाम का भी। आज अगर किसी का दिल टूटता है, तो वह सीधे सोशल मीडिया पर आता है, वीडियो बनाता है, और कभी-कभी तो ऐसा कदम भी उठा लेता है जो जीवन को हमेशा के लिए खत्म कर देता है। यह खतरनाक ट्रेंड न सिर्फ परिवारों को दुख में डुबो रहा है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है। लाइक्स, कमेंट्स और शेयर की दौड़ ने युवाओं को मानसिक रूप से कमजोर बना दिया है। यहां हर पोस्ट पर लाइक न मिलना या किसी की नकारात्मक टिप्पणी आना, युवाओं को इतना हताश कर देता है कि वे तनाव, डिप्रेशन और यहां तक कि ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया ने युवाओं की निर्णय क्षमता को भी कमजोर किया है। यह एक ऐसी दुनिया बन गई है जहां सब कुछ दिखावटी है। यहां हर कोई अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा हिस्सा दिखाता है। लेकिन, यह समझने की बजाय कि यह सब एक आभासी दुनिया का हिस्सा है, युवा इसे हकीकत मान बैठते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे अपनी असली जिंदगी से असंतुष्ट हो जाते हैं और अपने निर्णयों पर शक करने लगते हैं। सोशल मीडिया एक ताकतवर माध्यम है, लेकिन इसे हमारी जिंदगी पर हावी होने देना सही नहीं। याद रखें, सोशल मीडिया इंसान ने बनाया है, इंसान को सोशल मीडिया ने नहीं। जिंदगी अनमोल है, और इसे किसी भी आभासी दुनिया के दबाव में आकर खत्म करना सबसे बड़ी भूल होगी। इसलिए, जरूरी है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोच-समझकर किया जाए। युवाओं को इस बात का एहसास कराना होगा कि हर खुशी या दुख को साझा करना जरूरी नहीं। जीवन को जीना है, उसे दिखाना नहीं। और सबसे जरूरी बात, अगर किसी भी तरह की मानसिक समस्या हो रही हो, तो अपनों से बात करें, मदद लें, और खुद को अकेला न समझें। हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस खतरनाक ट्रेंड को रोकें और एक स्वस्थ, खुशहाल और वास्तविक समाज की ओर कदम बढ़ाएं।

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