पति-पत्नी के रिश्ते में हंसी-मजाक एक ऐसी डोर है, जो आपसी संबंधों को और गहराई और मजबूती देती है। यह न केवल एक-दूसरे को करीब लाता है बल्कि रिश्ते में एक नया ताजगी भरा एहसास भी पैदा करता है। लेकिन अगर यह हंसी-मजाक तंज या अपमान का रूप ले ले, तो यही रिश्तों में खटास का कारण बन सकता है। नवीन और राधिका की शादीशुदा जिंदगी इसकी एक मिसाल है। शादी के शुरुआती दिनों में दोनों एक-दूसरे के मजाकिया स्वभाव को बेहद पसंद करते थे। लेकिन दस साल बाद, जब नवीन अपने मजाक में तंज जोड़ने लगा, तो राधिका इसे सहन नहीं कर पाई। छोटी-छोटी बातों पर उनकी बहस होने लगी। रिश्ते में ऐसी स्थितियां तब पैदा होती हैं, जब एक साथी की भावनाओं को मजाक के नाम पर चोट पहुंचाई जाती है। टीना और रोहन का उदाहरण देखें। एक पार्टी के दौरान टीना ने रोहन की देर से आने की आदत पर मजाक किया, लेकिन रोहन इसे अपमान समझ बैठा। टीना का “यह तो मजाक था” कहने भर से रोहन की भावनाएं बदल नहीं सकती थीं। यह स्पष्ट करता है कि मजाक तभी सही है, जब दोनों पक्ष इसे सकारात्मक रूप से लें। पति-पत्नी के रिश्ते में मजाक तभी सही माना जाता है, जब वह हल्का-फुल्का और स्वस्थ हो। लेकिन अगर यह व्यक्तिगत या संवेदनशील विषयों पर हो, जैसे माता-पिता, भाई-बहन, या करीबी रिश्तेदारों से जुड़ा, तो यह विवाद का कारण बन सकता है। बार-बार ऐसे विषयों पर मजाक करना साथी को ठेस पहुंचा सकता है और यह छोटी नोक-झोंक बड़े झगड़े में बदल सकती है। मनोवैज्ञानिक सीमा रहमान कहती हैं, “पति-पत्नी के रिश्ते में संवाद जितना स्पष्ट और ईमानदारी भरा होगा, रिश्ता उतना ही मजबूत रहेगा।

जो बातें आपको परेशान करती हैं, उन पर खुलकर बातचीत करें। बातों को मजाक या घुमा-फिराकर कहने से बचें। समय और जगह का ध्यान रखें: मजाक हमेशा सही समय और माहौल में करें। सार्वजनिक स्थानों पर या दूसरों के सामने मजाक करने से बचें। दोनों की सहमति जरूरी: मजाक ऐसा होना चाहिए, जिसमें बोलने और सुनने वाले दोनों आनंद लें। तंज और अपमान से बचें: साथी की कमजोरियों या संवेदनशील बातों पर मजाक न करें।संवेदनशील विषयों पर विचार करें: व्यक्तिगत और पारिवारिक मुद्दों को मजाक का विषय न बनाएं। सकारात्मकता बनाए रखें: मजाक ऐसा हो, जो हंसी लाए, न कि आंसू। पति-पत्नी का रिश्ता प्यार, समझ और सम्मान पर टिका होता है। हंसी-मजाक इसे और मजबूत बना सकता है, लेकिन केवल तभी जब वह दोनों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए किया जाए। रिश्ते में हंसी और खुशी तभी बरकरार रह सकती है, जब यह विवाद का नहीं, बल्कि सामंजस्य का कारण बने।