Home लाइफस्टाइल महिलाओं के स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंताएँ: लापरवाही और जानकारी की कमी से...

महिलाओं के स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंताएँ: लापरवाही और जानकारी की कमी से हो रही गंभीर समस्याएं

34
0
Growing concerns over women's health

वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियां काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। पिछले एक दशक के आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि सभी उम्र के लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर सहित कई अन्य प्रकार की बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर, महिलाओं में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ता जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने की आशंका पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लगभग दोगुनी है। इसे भारत में रिपोर्ट की जाने वाली आत्महत्याओं में से 36.6% के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने महिलाओं की सेहत से जुड़ी चुनौतियों पर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। कैंसर की जांच, मानसिक स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि लापरवाही, सुविधाओं की अनुपलब्धता जैसे कारणों के चलते रोगों का इलाज करवाने में महिलाएं पीछे रह जाती हैं जिसके कारण उनमें कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के विकसित होने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। मंगलवार (11 मार्च) को आयोजित एक कार्यक्रम में एशिया पैसिफिक एडवाइजरी कॉउन्सिल की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका नड्डा ने इन्क्लूसिव और लैंगिक रूप से संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता पर जोर दिया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, अब भी भारतीय महिलाएं रोगों का इलाज करवाने में काफी पीछे हैं, अधिकतर महिलाएं इन मामलों में लापरवाही करती हैं।  कार्यक्रम में एम्स की पूर्व प्रोफेसर डॉ नीरजा भटला ने कहा कि महिलाओं में एनीमिया, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर सहित दूसरी समस्याएं बढ़ रही हैं। इनका समय पर निदान और इलाज न हो पाने के कारण रोग के गंभीर रूप लेने और इलाज में जटिलाओं का खतरा और भी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, महिलाओं के स्वास्थ्य को अभी भी मुख्य रूप से जानकारी की कमी के कारण काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता है। हमें महिलाओं को उनके स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए व्यावहारिक बदलाव लाने की आवश्यकता है। डॉ. शेली महाजन ने कहा कि डेटा एनालिटिक्स से संचालित सटीक डायग्नोस्टिक जल्दी पहचान और उपचार योजना को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर बना सकता है। ब्रेस्ट हो या सर्वाइकल कैंसर, इनका अगर समय रहते निदान और उपचार हो जाए तो रोग के गंभीर रूप लेने और रोगी की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है। जनवरी में सुलभ सेनिटेशन मिशन फाउंडेशन ने एक सर्वे की रिपोर्ट में बताया कि देश में महिला चिकित्सकों की कमी के चलते करीब 91% महिलाएं मासिक धर्म और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का परामर्श नहीं ले पाती हैं। मासिक धर्म के दौरान लड़कियों ने स्कूल के शौचालयों के उपयोग करने में डर की बात स्वीकार की है क्योंकि इनकी गुणवत्ता खराब होती है।

GNSU Admission Open 2025

इसके कारण मासिक धर्म के दौरान बड़ी संख्या में लड़कियां अनुपस्थित रहती हैं।  नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दशकों की तुलना में अब महिलाओं में  समय से पहले रजोनिवृत्ति देखी जा रही जिसके कारण भी स्वास्थ्य पर गंभीर असर देखा जा रहा है।  भारत में 30 से 49 वर्ष की आयु की 15% महिलाओं में रजोनिवृत्ति की स्थिति देखी जा रही है जबकि इसका समय मुख्यरूप से 55 वर्ष माना जाता रहा है। कुछ महिलाओं को 40 वर्ष की आयु से पहले ही इसका अनुभव हो रहा है। समय से पहले रजोनिवृत्ति एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है क्योंकि इससे हृदय, हड्डियों और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके लिए कई प्रकार के पर्यावरणीय और लाइफस्टाइल से संबंधित स्थितियों को जिम्मेदार माना जा रहा है।



GNSU Admission Open 2025