
वॉशिंगटन/ओटावा: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने फैसले से वैश्विक व्यापार को हिला दिया है. शनिवार (1 फरवरी) को उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन से आने वाले उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। ट्रंप के इस फैसले के तहत कनाडा और मैक्सिको से इंपोर्ट होने वाले सामान पर 25% और चीन से आने वाले उत्पादों पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा.
ट्रंप ने क्यों किया ये ‘टैरिफ अटैक’?
ट्रंप ने इस कदम को अमेरिका की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और अवैध आप्रवासन व मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने की रणनीति बताया. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा,

“आज मैंने मैक्सिको और कनाडा से आयात पर 25% टैरिफ (कनाडाई ऊर्जा पर 10%) और चीन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लागू किया है. यह IEEPA के तहत किया गया क्योंकि अवैध विदेशियों और घातक दवाओं के कारण हमारे नागरिकों की जान खतरे में है.” हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस फैसले से अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा. खासतौर पर पेट्रोल, डीजल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे पहले से महंगाई की मार झेल रहे अमेरिकी लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी.
ट्रूडो की चेतावनी- ‘कनाडा तैयार है!’
ट्रंप के इस फैसले से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भड़क उठे. उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम ऐसा नहीं चाहते थे, लेकिन कनाडा तैयार है!” इसके बाद उन्होंने मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम से बातचीत करने की घोषणा की और अपनी कैबिनेट के साथ इस मुद्दे पर आपात बैठक की. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रूडो ने साफ कहा, “टैरिफ कुछ साल पहले हुए मुक्त व्यापार समझौते (USMCA) का उल्लंघन करते हैं। इसका असर सिर्फ कनाडा पर नहीं बल्कि खुद अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा.”
क्या होगा असर?
महंगा होगा पेट्रोल-डीजल: अमेरिका हर दिन 4.6 मिलियन बैरल तेल कनाडा और 563,000 बैरल तेल मैक्सिको से आयात करता है। टैरिफ लागू होने से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
महंगे होंगे फोन और गैजेट्स: चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं महंगी हो सकती हैं.
व्यापारिक तनाव बढ़ेगा: विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से व्यापार युद्ध बढ़ सकता है और अमेरिका पर भी जवाबी टैरिफ लगाए जा सकते हैं.
अब देखना यह होगा कि क्या यह ट्रंप की व्यापार नीति का मास्टरस्ट्रोक साबित होगा या अमेरिका में ही इसका बड़ा विरोध खड़ा होगा?