अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसका विदेश मंत्रालय ने कड़ा जवाब दिया है। ट्रंप ने यह आरोप लगाया कि बाइडन प्रशासन भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर की मदद कर रहा है और उनका मानना है कि बाइडन सरकार चुनाव में किसी और उम्मीदवार को जिताना चाहती थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारतीय प्रशासन को अमेरिकी प्रशासन से कुछ गतिविधियों और फंडिंग के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है, जो भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी दखलंदाजी की तरह प्रतीत होती है। उन्होंने इसे चिंता का विषय बताया और कहा कि इस पर संबंधित विभाग और एजेंसियां जांच कर रही हैं, हालांकि इस समय सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश के विदेश सलाहकार से मस्कट में हुई मुलाकात के दौरान SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ) पर कोई खास चर्चा नहीं हुई थी। हालांकि, विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण एशिया में यह बात हर किसी के लिए स्पष्ट है कि कुछ देश और गतिविधियां SAARC को बाधित करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही, बांग्लादेश को आतंकवाद को सामान्य नहीं बनाने की सलाह भी दी गई। विदेश मंत्री ने भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई पिछली बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा भी की, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द की स्थिति, कैलाश मानसरोवर यात्रा, उड़ान संपर्क और यात्रा सुविधाओं पर चर्चा की गई।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भी विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी की। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री ने जोहान्सबर्ग में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान रूस के विदेश मंत्री से मुलाकात की और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और यूक्रेन संघर्ष पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह बैठक रूस और भारत के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण रही और भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों पर भी महत्वपूर्ण बयान दिए गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान में यह उल्लेख किया गया है कि अमेरिकी पक्ष भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (F-35) की आपूर्ति करने की अपनी नीति की समीक्षा कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान F-35 विमान का जिक्र किया था, लेकिन भारत की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक अधिग्रहण प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है। यह भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों में एक नई दिशा को संकेत करता है।
ओडिशा के केआईआईटी विश्वविद्यालय में एक नेपाली छात्रा की दुखद मौत पर विदेश मंत्रालय ने शोक व्यक्त किया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा और कल्याण को उच्च प्राथमिकता देती है और इस स्थिति के प्रकाश में आने के बाद से ओडिशा सरकार और केआईआईटी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा गया है। नेपाली अधिकारियों के साथ भी निकट संपर्क में रहकर इस मामले को गंभीरता से लिया गया है।
कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन द्वारा की गई टिप्पणियों पर विदेश मंत्रालय ने सख्त प्रतिक्रिया दी। प्रवक्ता ने कहा कि भारत के क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज किया जाता है। विदेश मंत्रालय ने तुर्की के राजदूत से कड़ा विरोध दर्ज किया और यह स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की नीति, जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देती है, जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है, और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
इन सभी घटनाओं ने भारत की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण विचार-विमर्श को जन्म दिया है, जिससे देश की सुरक्षा, संप्रभुता और द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।