पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के हालिया बयान पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मान ने अमृतसर एयरपोर्ट पर अमेरिकी विमान के माध्यम से अवैध भारतीय प्रवासियों के डिपोर्टेशन को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार पंजाब को बदनाम करने के लिए अमृतसर एयरपोर्ट पर अमेरिकी विमान को उतारने की इजाजत दे रही है। मुख्यमंत्री के इस बयान ने राज्य में एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। उनके बयान पर भाजपा, कांग्रेस और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इस मुद्दे को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। पंजाब भाजपा के उपाध्यक्ष फतेहजंग सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने ही राज्य को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। बाजवा का आरोप है कि डिपोर्ट किए गए लोगों में से 67 पंजाब से हैं, लेकिन मान इस मुद्दे का राजनीतिकरण करके पंजाब के नाम को खराब कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पंजाब सरकार ने उन धोखेबाज एजेंटों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है, जो अवैध रूप से युवाओं को विदेश भेजने का काम कर रहे हैं। ये एजेंट लाखों रुपये वसूलकर युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं, और अवैध इमीग्रेशन सेंटर पंजाब में एक बड़ा उद्योग बन चुका है। बाजवा ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह मुद्दा राजनीति का न बनाते हुए राज्य के विकास और रोजगार के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब यह लोग विदेश जा रहे थे, तब राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, और अब जब यह मामला सामने आ चुका है, तो मुख्यमंत्री इसे राजनीतिक रंग देने में लगे हैं। पंजाब के युवाओं का विदेश जाना मुख्य रूप से बेरोजगारी के कारण है, लेकिन पंजाब सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। भा.ज.पा. के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी भगवंत मान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग अमेरिकी डिपोर्टेशन का शिकार केवल धोखेबाज एजेंटों और आप सरकार की विफलता के कारण हुए हैं। शेरगिल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से यह सवाल किया कि पंजाब का युवा आखिर क्यों पंजाब छोड़कर विदेश जा रहा है। क्या इसका कारण यह है कि आप सरकार रोजगार पैदा करने में बुरी तरह नाकाम रही है?
शेरगिल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को उन धोखेबाज एजेंटों पर कार्रवाई करने का अधिकार है, जो पंजाब के युवाओं को गुमराह करके उन्हें लूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने की बजाय पंजाब के विकास और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पंजाब का युवा राज्य के रोजगार संकट के कारण विदेश जाने को मजबूर है, और सरकार को इसे हल करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। शेरगिल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि युवाओं को विदेश जाने का लालच न हो। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान पर अपनी राय दी और कहा कि उनका बयान सिर्फ सुर्खियां बनाने के लिए था। श्रीनेत ने कहा कि अगर डिपोर्टेशन का मुद्दा इतना गंभीर था, तो अमेरिकी विमान अमृतसर क्यों उतरा? क्यों नहीं इसे दिल्ली में लैंड कराया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीयों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का मामला अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष नहीं उठाया, जिससे भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि पंजाब में बड़ी संख्या में एनआरआई (Non-Resident Indians) हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। पंजाब के लोग विदेशों में खुशहाल जीवन बिता रहे हैं, और राज्य सरकार को इस प्रवास को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। पंजाब में विदेश जाने के कारण मुख्य रूप से रोजगार संकट और राज्य में आर्थिक अवसरों की कमी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि पंजाब में अवैध इमीग्रेशन का मुद्दा गंभीर हो चुका है, और इसे राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पंजाब सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने में सफल हो पाएगी? राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि युवाओं को विदेश जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़े। इसके लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि और उद्योगों को राज्य में आकर्षित करना जरूरी है। इसके अलावा, पंजाब में अवैध इमीग्रेशन सेंटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि युवा धोखेबाज एजेंटों के चक्कर में न फंसें।