अमेरिका द्वारा चीन, मैक्सिको और कनाडा पर लगाए गए टैरिफ का आर्थिक प्रभाव काफी गहरा रहा है। 31 जनवरी को व्हाइट हाउस ने यह घोषणा की थी कि 1 फरवरी से कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामान पर 25 प्रतिशत का शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा, जबकि चीन से आयातित सामानों पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगाया जाएगा। इस फैसले के परिणामस्वरूप इन देशों की मुद्राओं में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई है। विशेष रूप से, चीन का युआन अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और दोनों देशों, मैक्सिको और कनाडा की मुद्राएं भी वर्षों बाद अपने सबसे कमजोर स्तर पर आईं।
इसकी वजह से वैश्विक व्यापार के माहौल में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे व्यापार युद्ध और भी तीव्र होने की संभावना जताई जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि यह टैरिफ अवैध आव्रजन और ‘फेंटेनाइल’ जैसी खतरनाक दवाओं की तस्करी को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। साथ ही उनका यह भी कहना था कि इससे अमेरिकी घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी उत्पादों की कीमतें बढ़ने से अमेरिकी निर्माताओं को फायदा होगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम के परिणामस्वरूप अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली पर असर पड़ सकता है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव, कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह शुल्क राष्ट्रपति के वादे के अनुसार लागू किए जा रहे हैं और इसके बाद कोई छूट देने की संभावना के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस बीच, कनाडा और मैक्सिको ने भी इस फैसले का विरोध किया है और दोनों देशों के नेताओं ने कहा कि वे टैरिफ लागू होने की स्थिति में उचित जवाब देने के लिए तैयार हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि अगर ट्रंप इन टैरिफ को लागू करते हैं, तो कनाडा इसे उचित तरीके से जवाब देगा। वहीं, मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शैनबॉम ने भी कहा कि उनके पास अमेरिकी सरकार के फैसले का जवाब देने के लिए कई रणनीतियाँ (प्लान A, प्लान B, प्लान C) हैं।
इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी संकेत दिया था कि वे कनाडा और मैक्सिको से तेल आयात पर छूट देने पर विचार कर सकते हैं, हालांकि इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई थी। इसके बावजूद, ट्रंप का यह निर्णय वैश्विक व्यापार पर प्रभाव डालने के साथ-साथ इन देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है।
इस प्रकार, यह टैरिफ ना केवल इन देशों की मुद्राओं को कमजोर करने का कारण बने हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार नीति और अमेरिका के व्यापार भागीदारों के साथ रिश्तों पर भी गहरा असर डाल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, आने वाले समय में व्यापार युद्ध के और बढ़ने की आशंका बनी हुई है।