अमेरिका में ट्रंप सरकार द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला तेज हो गया है, और अब इस फैसले का असर पंजाबी समुदाय पर भी दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ महीनों में 332 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया है, जिनमें से 128 लोग पंजाब से थे। यह स्थिति अब और गंभीर हो गई है, क्योंकि 14 लाख पंजाबी अवैध प्रवासियों के खिलाफ डिपोर्टेशन की तलवार लटक रही है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 इमिग्रेशन जजों को बिना किसी पूर्व सूचना के बर्खास्त कर दिया है, जिससे अमेरिका में रह रहे 35 लाख शरणार्थी आवेदनकर्ताओं में चिंता का माहौल बन गया है। इन जजों की बर्खास्तगी से मामलों में और देरी हो सकती है, जिससे पंजाबी समुदाय के लगभग 14 लाख लोगों के निर्वासन का खतरा बढ़ गया है। अमेरिका में इस समय पंजाबी मूल के लोगों के मामले 40% तक लंबित हैं, और इन मामलों की देरी से उन्हें डिपोर्ट किए जाने का खतरा है।
इमिग्रेशन कोर्ट पहले से ही भारी मामलों के बोझ से दबा हुआ है, और मामलों में देरी हो रही है, जिससे कानूनी प्रक्रियाओं में वर्षों की समय सीमा बढ़ रही है। राणा टुट, जो अमेरिका में रहते हैं, का मानना है कि इस फैसले से कई पंजाबी युवाओं को नुकसान होगा। इमिग्रेशन सिस्टम में यह धीमापन उनकी जड़ों को अमेरिका में स्थापित करने का प्रयास भी बाधित करेगा।
इसी प्रकार, कनाडा में भी इमिग्रेशन विभाग ने अगले तीन वर्षों में अपने कर्मचारियों की संख्या में 25% की कटौती करने का फैसला लिया है, जिससे वहां की पीआर प्रक्रिया भी धीमी हो जाएगी। यह निर्णय भी लंबित मामलों की संख्या को और बढ़ा सकता है, जिसका असर कनाडा में प्रवासियों पर पड़ेगा।
अमेरिकी न्याय विभाग ने पिछले महीने निर्वासन का सामना कर रहे लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले गैर-सरकारी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी रोक दी थी, जो कि ट्रंप प्रशासन की दो प्रमुख प्राथमिकताओं – सामूहिक निर्वासन और संघीय सरकार के आकार को कम करने – से जुड़ा हुआ कदम है।
इस पूरे परिदृश्य में, पंजाबी समुदाय और अन्य प्रवासियों के लिए आगामी समय और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इमिग्रेशन प्रक्रिया में देरी और कटौती उनके लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है।