Home मनोरंजन वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल बना सुरमयी संगीत का गवाह

वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल बना सुरमयी संगीत का गवाह

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वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल 2025 ने रविवार को झीलों की नगरी के तीन महत्वूपर्ण स्थल सुबह मांजी का घाट, दोपहर फतहसागर पाल और शाम को गांधी ग्राउंड पर भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगीत के संगीत के साथ दूसरे दिन सुरमयी संगीत के गवाह बने। राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के सहयोग और सहर द्वारा परिकल्पित यह महोत्सव सभी के लिए निःशुल्क था, जिसमें दर्शकों को विश्व की विभिन्न संगीत परंपराएं और प्रस्तुतियों से रूबरू कराया गया। सुबह की शुरुआत सिटी पैलेस और जग मंदिर के सामने मांजी का घाट से हुई, जहां दर्शकों ने ऋत्विक राजा के भावपूर्ण कार्नेटिक संगीत के साथ शांतिपूर्ण शुरुआत का आनंद लिया। इसके बाद ईरान के डेलगोचा एन्सेम्बल ने दर्शकों को रैडिफ परंपरा के माध्यम से फारसी शास्त्रीय संगीत से परिचित कराया। दोपहर में, फतहसागर पाल में शांत पानी की लहरों और आरामदायक वातावरण मंे संगीतकारों ने सुबह की ताजगी और गुनगुनी धूप को श्रोताओं के दिल में उतारा। फतहसागर पर चिज़ाई ने पॉप और फंक के अपने फ्यूजन से वहां मौजूद संगीत प्रेमियों का मनोरंजन किया, जबकि अली डोगन गोनुलतास और उनके कलाकारों ने कुर्दिस्तान और तुर्की की लोक परंपराओं को जीवंत कर दिया। सत्र का समापन कर्ष काले और पीटर टेगनर के साथ हुआ, जिन्होंने अद्वितीय साउंडस्केप के लिए इलेक्ट्रॉनिक और ध्वनिक संगीत का फ्यूजन किया। वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल के दूसरे दिन की शाम को गांधी ग्राउण्ड के सजीले मंच पर विश्व संगीत की जानी मानी हस्तियों ने ऐसी जुगलबंदी साधी कि संगीत रसिक आम और खास बार बार सुर समुदंर में डुबते तैरते रहे। सारंगी ऑर्केस्ट्रा ने पारंपरिक धुनों के साथ शुरुआत की, उसके बाद कुटले खान ने लयबद्ध राजस्थानी लोक कला के अपने सुरो को बुलंद किया तो समृद्ध भारतीय सांस्कृतिक विरासत जीवंत हो उठा। रियूनियन आइलैण्ड के ज़िसकासन ने अफ्रीकी, एशियाई और यूरोपीय ध्वनियों को मिलाते हुए क्रियोल प्रभावों को प्रस्तुत किया। रात के सबसे बहुप्रतीक्षित कलाकारों की प्रस्तुति में से एक यूफोरिया ने दर्शकों को उनके हिंदी रॉक एंथम के साथ गाने पर मजबूर कर दिया। दूसरे दिन के कार्यक्रम का समापन हंगरी के रोमानो ड्रोम के साथ हुआ, जिनके ऊर्जावान जिप्सी संगीत ने भारतीय और आधुनिक शैलियों को एक साथ लाकर शाम को एक शानदार अंदाज में समाप्त किया जिसका दर्शको ने तालियों के साथ खूब साथ दिया। सहर के संस्थापक-निदेशक संजीव भार्गव ने बताया कि, इस उत्सव की योजना बनाने में एक वर्ष का समय लगता है, जिसमें हर विवरण पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाता है ताकि हम हर साल दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव बना सकें। कलाकार से लेकर मंच की सजावट तक हर तत्व को उदयपुर जैसे शहर की प्राकृतिक लय के साथ संगीत को मिलाने के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है।

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