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“रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना के विवादित शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ, सख्त कार्रवाई की मांग”

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"Political and social reactions to Ranveer Allahabadia and Samay Raina's controversial show 'India's Got Latent'

सोशल मीडिया पर इन दिनों रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना का नाम चर्चा में है, और इसकी वजह उनके यूट्यूब शो “इंडियाज गॉट लेटेंट” के कुछ वायरल वीडियो हैं। इन वीडियो में रणवीर और समय अभद्र और अपमानजनक टिप्पणियाँ करते हुए नजर आ रहे हैं। दर्शकों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इन टिप्पणियों को गंभीर रूप से आपत्तिजनक पाया, और इसके चलते इनके खिलाफ पुलिस में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।

शो में जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल किया गया और जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, वे विवादों का कारण बने हैं। खासकर वीडियो में पेश की गई अश्लीलता और ईशनिंदा के आरोप गंभीर रूप से उठाए गए हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए हैं, और इसके साथ ही एक व्यापक बहस भी शुरू हो गई है कि क्या इस प्रकार के कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले का संज्ञान लिया और यह आश्वासन दिया कि इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला अब राजनीतिक स्तर तक पहुंच चुका है, जहां विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को आईटी और संचार की स्थायी समिति के सामने उठाएंगी। प्रियंका ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि “इंडियाज गॉट लेटेंट” शो में अश्लील और ईशनिंदा वाली सामग्री को कॉमेडी के रूप में पेश किया जाता है, जो युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट के लिए कुछ सीमाएं तय करनी चाहिए, क्योंकि ऐसे शो से समाज में गलत संदेश जा सकता है। प्रियंका ने शो के कंटेंट को पूरी तरह से बकवास और अस्वीकार्य करार दिया और कहा कि इस शो में रणवीर द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा भी अनुपयुक्त है, क्योंकि इसे अन्य पैनलिस्टों द्वारा भी प्रोत्साहित किया गया।

प्रियंका चतुर्वेदी के साथ ही, एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने भी इस पूरे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि रणवीर की टिप्पणी वेस्टर्न कल्चर में भी नहीं देखी जाती, और उन्होंने इसे शर्मनाक बताया। वारिस पठान ने यह भी कहा कि इस प्रकार की भाषा और टिप्पणी से “फ्रीडम ऑफ स्पीच” का गलत इस्तेमाल हो रहा है, जो समाज के लिए खतरनाक हो सकता है। उनका कहना था कि रणवीर ने जो शब्द माता-पिता के लिए इस्तेमाल किए, वह पूरी तरह से आपत्तिजनक और अस्वीकार्य थे।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर डिजिटल कंटेंट पर नियंत्रण और सीमाओं की आवश्यकता को सामने ला दिया है। बहुत से लोग मानते हैं कि सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दर्शाए जाने वाले कंटेंट को लेकर कड़ी नीतियाँ बनानी चाहिए ताकि समाज में गलत संदेश न जाए। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि डिजिटल मीडिया पर बिना सीमा के कंटेंट के प्रसार से न केवल मानसिक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को भी आहत कर सकता है।

इसी तरह, इस पूरे मामले में राजनीतिक प्रतिक्रिया और पुलिस कार्यवाही की संभावना से यह प्रतीत होता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की अनुमति और उसे नियंत्रित करने का मुद्दा अब और अधिक गंभीर हो गया है। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर नए कानून बनेंगे।

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