मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में एक ही दिन दो बड़ी फिल्मों के प्रेस शोज का एक साथ आयोजन आमतौर पर बहुत कम होता है, लेकिन इस बार मामला शायद अहं के टकराव का अधिक था। मैडॉक फिल्म्स की फिल्मों को हमेशा जियो स्टूडियोज के साथ रिलीज किया गया है, लेकिन उनकी नई फिल्म ‘छावा’ जियो स्टूडियोज से नहीं, बल्कि दूसरे प्रोडक्शन हाउस से रिलीज हो रही है। दूसरी ओर, जियो स्टूडियोज का रिश्ता ‘कैप्टन अमेरिका: ब्रेव न्यू वर्ल्ड’ से है, जो मार्वल स्टूडियो के बैनर तले बनी थी, लेकिन भारत में इसे डिज्नी इंडिया के स्वामित्व वाले जियो के माध्यम से रिलीज किया गया है। इस टकराव के कारण, अब सिनेमा के कारोबार में और अहं की जंग देखने को मिल सकती है, खासकर इस बात से कि 14 फरवरी से डिज्नी प्लस हॉटस्टार और जियो सिनेमा ऐप मिलकर ‘जियो हॉटस्टार’ बन चुके हैं।
‘छावा’ फिल्म के प्रति दर्शकों की उत्सुकता पर चर्चा की जाए तो यह अलग-अलग हो सकती है। फिल्म में महाराष्ट्र के महान नेता शिवाजी के बेटे संभाजी की कहानी को दिखाया गया है, जो मराठों के लिए एक अहम ऐतिहासिक किरदार हैं। फिल्म की एडवांस बुकिंग के आंकड़े यह बताते हैं कि इसे महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा देखा जाएगा, क्योंकि यह उनकी प्रतिष्ठा और वीरता से जुड़ी हुई है। ‘छावा’ मराठी में ‘शेर के बच्चे’ के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है, जो फिल्म के केंद्र में भी है। अगर आप शिवाजी सावंत के ‘मृत्युंजय’ और ‘युगंधर’ जैसे ऐतिहासिक उपन्यासों के बारे में जानते हैं, तो आप समझेंगे कि इन उपन्यासों में लेखक तथ्यों को इस तरह जोड़ते हैं कि वह ऐतिहासिक घटनाओं को न केवल रोचक बना देते हैं, बल्कि कथा में भी गहराई प्रदान करते हैं।
अब अगर फिल्म के बारे में बात करें तो, यह पूरी तरह से युद्ध और संघर्ष पर आधारित है। फिल्म में संभाजी को लड़ते हुए ही दिखाया गया है। वह युद्ध में कोई नरमी नहीं दिखाते और भेस बदलकर युद्ध में हिस्सा लेते हैं। फिल्म में औरंगजेब का चरित्र भी महत्वपूर्ण है, जो दिल्ली से निकलकर संभाजी को पकड़ने का प्रयास करता है। फिल्म की कहानी 1680 से 1689 तक के घटनाक्रम पर आधारित है और इसमें दुख, दर्द और त्रासदी की कई घटनाएँ शामिल हैं। इसके क्लाइमेक्स में कुछ ऐसे वीभत्स दृश्य हैं, जो बहुत ही कठिन और कष्टकारी महसूस होते हैं। फिल्म में विक्की कौशल ने अपने अभिनय से संभाजी के वीर और रौद्र रूप को जीवंत किया है। लेकिन एक चेतावनी दी जाती है कि इस फिल्म को अपने बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ देखना थोड़ा असहज हो सकता है, क्योंकि यह अत्यधिक हिंसा और दर्दनाक दृश्यों से भरी हुई है।
फिल्म में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब संभाजी युद्ध में नहीं होते तो वह अपने अतीत की यादों में खोए रहते हैं, जो उनकी दुखद यात्रा का हिस्सा बनती हैं। फिल्म में रश्मिका मंदाना ने येसूबाई का किरदार निभाया है, जो एक मराठा महारानी हैं। उनका काम युद्ध से लौटे अपने पति की पूजा अर्चना करना, उन्हें तात्कालिक रूप से ताक़त और आशीर्वाद देने तक सीमित था। हालांकि, दिव्या दत्ता का किरदार सोयराबाई के रूप में ज्यादा प्रभावी था, जो अपने बेटे को महाराज बनाने के लिए बेचैन रहती हैं।
विक्की कौशल के अभिनय की बात करें तो उन्होंने संभाजी के किरदार को पूरी तरह से अपने दम पर निभाया है। उनका अभिनय इतना सशक्त था कि फिल्म के निर्देशन में लक्ष्मण उतेकर ने उनका पूरी तरह से फायदा उठाया। विक्की के पहले के किरदारों, जैसे सरदार उधम सिंह और सैम मानेकशॉ पर भी उनका अभिनय शानदार था। इस फिल्म में उनकी भूमिका को देखकर ऐसा लगता है कि वह एक और राष्ट्रीय पुरस्कार के हकदार हो सकते हैं।
इसके अलावा, फिल्म में सहायक कलाकारों का काम भी उल्लेखनीय है। विनीत सिंह ने एक कवि के रूप में अपनी भूमिका निभाई और कई महत्वपूर्ण युद्ध दृश्यों में भाग लिया। जबकि अक्षय खन्ना ने एक शक्तिशाली खलनायक का किरदार निभाया, जो भारतीय सिनेमा में दमदार खलनायकों की कमी को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
हालांकि, फिल्म के कुछ हिस्से में असहजता भी महसूस होती है। इसकी सिनेमैटोग्राफी कमजोर थी, प्रोडक्शन डिजाइन बेहद साधारण था और एक्शन कोरियोग्राफी के कुछ हिस्से फिल्म ‘300’ के प्रभाव में दिखे। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी बहुत प्रभावित नहीं करता, और पार्श्व संगीत का प्रयोग सामान्य था।
कुल मिलाकर, फिल्म ‘छावा’ विक्की कौशल के शानदार अभिनय के कारण देखने लायक है, लेकिन इसके अलावा बाकी पहलुओं में बहुत कुछ ऐसा नहीं था जो इसे खास बना सके। इसके क्लाइमेक्स में दर्शकों को परेशान करने वाले दृश्य हो सकते हैं, इसलिए इसे देखकर निकलते समय एक राहत की सांस लेने की सलाह दी जाती है।