कानपुर के उद्देश्य सचान ने अपनी ज़िंदगी के संघर्षों को ताकत बनाकर एक ऐसा स्कूल शुरू किया, जो सैकड़ों गरीब बच्चों के लिए आशा की किरण बन गया है. कभी खुद फीस न भर पाने के कारण स्कूल से निकाले गए उद्देश्य ने अपने कठिन सफर के दौरान होटल और आइसक्रीम फैक्ट्री में काम किया, लेकिन उन्होंने शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा. आज वे 250 से अधिक वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उनके भविष्य को संवार रहे हैं.
संघर्षों से सीखा सबक
उद्देश्य सचान का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता दर्जी थे और मां गृहिणी, जिससे घर चलाना मुश्किल होता था. आर्थिक तंगी के कारण उन्हें एक बार स्कूल से निकाल दिया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. पढ़ाई के साथ उन्होंने छोटे-मोटे काम किए और अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की. इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि उनके जैसे कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, इसलिए उन्होंने एक फ्री स्कूल शुरू करने का फैसला किया.

300 रुपये से हुई शुरुआत
साल 2019 में उद्देश्य ने मात्र 300 रुपये से ‘गुरुकुलम – खुशियों वाला स्कूल’ की नींव रखी. शुरुआत में उनके पास सिर्फ पांच बच्चे थे, लेकिन छह महीनों में यह संख्या 70 तक पहुंच गई. वे खुले आसमान के नीचे पढ़ाते थे, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के कारण सब कुछ ठप हो गया. बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक किराए के कमरे में पढ़ाई शुरू की.
सोशल मीडिया बना सहारा
पैसों की कमी के चलते स्कूल चलाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन कुछ लोगों ने 300 रुपये प्रति माह की सहायता शुरू की. बाद में सोशल मीडिया के जरिए उनकी कहानी वायरल हुई और कई दानदाताओं ने मदद का हाथ बढ़ाया. फिल्म अभिनेता आर. माधवन ने भी उनके प्रयासों को सराहा। आज उनके स्कूल में 250 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और इसे और बड़ा बनाने का काम जारी है.

शिक्षा का नया मॉडल
‘गुरुकुलम’ में पारंपरिक रटने वाली शिक्षा के बजाय व्यावहारिक और कौशल-आधारित शिक्षा दी जाती है. यहां रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी, थिएटर, खेती और बागवानी जैसे कोर्स शामिल हैं. भगवद गीता के माध्यम से बच्चों को आध्यात्मिकता से भी जोड़ा जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बन सकें. उद्देश्य सचान का सपना है कि हर बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे और वे अपने ‘गुरुकुलम’ को ऐसे मॉडल के रूप में विकसित करना चाहते हैं, जहां बच्चे सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सीखें.