बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को लेकर शिक्षक खान सर उर्फ फैसल खान पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बीपीएससी ने खान सर पर आरोप लगाया है कि वह छात्रों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और बिना आधार के परीक्षा से संबंधित झूठे आरोप लगा रहे हैं। यह आरोप खान सर द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गई 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के संबंध में लगाए गए हैं, जब उन्होंने दावा किया कि गया और नवादा जिले के परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र गायब हो गए थे। खान सर ने यह आरोप लगाया था कि उनके पास इन आरोपों का प्रमाण भी मौजूद है और उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई इंटरव्यू भी दिए।
बीपीएससी ने इस मामले में दोनों जिलों के डीएम की रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि खान सर द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और झूठे हैं। बीपीएससी ने एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें खान सर यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि गया और नवादा के केंद्रों पर परीक्षा के प्रश्न पत्र गायब हो गए थे। इस वीडियो के जरिए आयोग ने यह स्पष्ट किया कि खान सर जैसे शिक्षक सोशल मीडिया के माध्यम से विद्यार्थियों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
आयोग ने कहा कि खान सर के आरोपों का कोई आधार नहीं है और ये आरोप केवल छात्रों को दिग्भ्रमित करने के लिए लगाए गए हैं। नवादा जिले के डीएम रवि प्रकाश ने भी अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि नवादा जिले के कोषागार से कोई प्रश्न पत्र गायब नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि एक टीम द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही खबरें पूरी तरह से तथ्यहीन और भ्रामक थीं। इसके अलावा, गया जिले के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने भी इस आरोप को पूरी तरह से खारिज किया और कहा कि परीक्षा के सभी केंद्रों पर बीपीएससी परीक्षा पूरी पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ आयोजित की गई थी।
गया डीएम ने यह भी बताया कि परीक्षा के बाद सभी गोपनीय सामग्री को पूरी तरह सुरक्षित तरीके से आयोग में जमा कर दिया गया था, और सभी प्रक्रियाएं कानूनी तरीके से पूरी की गईं। उन्होंने कहा कि ये आरोप केवल बीपीएससी की परीक्षा की विश्वसनीयता को कमजोर करने के लिए लगाए गए थे।
बीपीएससी ने इस घटना के बाद छात्रों और अभिभावकों को सतर्क किया है और उन्हें इस तरह के झूठे और बेबुनियाद दावों पर विश्वास न करने की सलाह दी है। आयोग ने यह भी कहा कि छात्रों को किसी भी जानकारी के लिए आयोग की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल्स का अनुसरण करना चाहिए, ताकि वे सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
इस मामले में बीपीएससी ने खान सर जैसे “गुरु” और विशेषज्ञों के दावों को नकारा और उनकी छवि को चुनौती दी है। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि परीक्षा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं डाला जा सकता है। बिहार सरकार और बीपीएससी की तरफ से यह एक सख्त संदेश दिया गया है कि किसी भी तरह के झूठे आरोपों और भ्रम फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस विवाद के बाद, बीपीएससी ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में किसी भी परीक्षा के दौरान पूरी पारदर्शिता और सुरक्षा बरती जाएगी, ताकि छात्रों को कोई भी परेशानी न हो और वे परीक्षा में भाग ले सकें।