देश के विभाजन ने भारत को खून और नफरत की आग में झोंक दिया था. मोहम्मद अली जिन्ना की पाकिस्तान बनाने की जिद ने भारत में ऐसा दर्द दिया जिसे मिटाना लगभग असंभव हो गया. इस हिंसा के बीच महात्मा गांधी ही वह शख्स थे, जो अपनी अहिंसा और शांति के संदेश से लोगों को संयमित करने की कोशिश कर रहे थे. गांधी जी का सपना था कि भारत अखंड रहे और जो मुसलमान भारत का हिस्सा हैं, वे यहीं रहें. हालांकि, वे इस सपने को पूरी तरह साकार नहीं कर पाए.
पानीपत की हिंसा में गांधी जी का हस्तक्षेप:
1947 में विभाजन के बाद हिंदू भारत की ओर और मुसलमान पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे थे. इस दौरान रास्ते में अकल्पनीय हिंसा हो रही थी. इसी माहौल में पानीपत में भी हिंसा ने विकराल रूप धारण कर लिया था. हिंदू और सिख गुस्से में मुसलमानों पर हमला करने निकल पड़े थे. रेलवे स्टेशन पर खून-खराबा हो चुका था, और अब भीड़ मुसलमान बस्तियों की ओर बढ़ रही थी. उसी वक्त गांधी जी पानीपत पहुंचे. बिना किसी हथियार और सुरक्षा के, वे सीधे भीड़ के सामने जा खड़े हुए. हाथों में तलवार और भाले लिए लोगों को देखकर उन्होंने कहा, “घृणा और बदले की भावना से कुछ हासिल नहीं होगा. मुसलमान आपके भाई हैं, उन्हें गले लगाइए और कहिए कि वे यहीं रहें, पाकिस्तान ना जाएं.” भीड़ में से किसी ने चिल्लाकर कहा, “क्या तुम्हारी पत्नी के साथ बलात्कार हुआ है? क्या तुम्हारे बेटे को टुकड़ों में काटा गया है?” गांधी जी ने शांत भाव से जवाब दिया, “हां, मेरी पत्नी आप सबकी मां है. मेरे बेटे, आपके बेटे हैं. नफरत हमें खत्म कर देगी.” उनकी बातों का असर था कि हिंसा थम गई.
गांधी जी ने पानीपत में प्रार्थना सभा आयोजित की, जहां हिंदू, सिख और मुसलमान बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए. उनके भाषण ने लोगों को झकझोर दिया. उन्होंने कहा, “हम सब भारत माता की संतान हैं. इंसानियत को बचाइए, नफरत को मिटाइए। बदले की भावना छोड़कर प्रेम और शांति का रास्ता अपनाइए.” इसके बाद लोग मदद के लिए आगे आए. कोई भोजन लेकर आया, तो कोई कपड़े.
मुसलमानों का पलायन:
गांधी जी ने 20,000 मुसलमानों की जान तो बचा ली, लेकिन उन्हें भारत में रोकने का सपना अधूरा रह गया. उनकी अपील के बावजूद ये लोग डर और असुरक्षा के कारण पाकिस्तान चले गए. यह गांधी जी के लिए बहुत दुखद था. उन्होंने कहा था, “नफरत जीत गई, मोहब्बत हार गई.”
विभाजन की त्रासदी और गांधी का संदेश:
गांधी जी का प्रयास देश में इंसानियत को बचाने का था, लेकिन विभाजन की कड़वी सच्चाई ने उन्हें भी तोड़ दिया. पानीपत की घटना इस बात का उदाहरण है कि हिंसा को केवल प्रेम और अहिंसा से ही हराया जा सकता है. गांधी जी का संदेश आज भी प्रासंगिक है, कि नफरत किसी समस्या का हल नहीं, मोहब्बत ही इंसानियत को बचा सकती है.