Home बिहार BPSC Teacher भर्ती: हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना, शिक्षा विभाग पर सवाल

BPSC Teacher भर्ती: हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना, शिक्षा विभाग पर सवाल

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BPSC Teacher Recruitment: High Court order disregarded

पटना: पटना हाईकोर्ट ने 03 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बिहार सरकार के शिक्षा विभाग को निर्देश दिया था कि बिहार लोक सेवा आयोग से शिक्षक भर्ती परीक्षा- 1 (BPSC TRE 1) से चयनित डिप्लोमाधारी शिक्षकों के दस्तावेजों की 15 दिनों के अंदर करवाते हुए उसके एक महीने के अंदर नियुक्ति पत्र दे दें। यह दोनों ही मियाद 17-18 मई को खत्म हो गई, लेकिन यह शिक्षक भटक ही रहे हैं। शिक्षा विभाग इन्हें कई बार बुला चुका और कई बार यह झुंड बनाकर वैसे भी मिलने जा चुके, लेकिन यहां से इन्हें तारीख-दर-तारीख मिल रही है। ‘अमर उजाला’ ने पहले दिन से इस मुद्दे को उठाया था तो हाईकोर्ट के निर्देश की समय-सीमा पूरी होने के बाद फिर शिक्षा विभाग को दस्तक दी गई। बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा- 1 के पहले दिए परीक्षाफल जिस डिप्लोमाधारी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिल गया था, वही डिप्लोमा रखने वालों को पूरक परिणाम आने के बाद नियुक्ति से रोक दिया गया था। तब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव विवादित आईएएस अधिकारी केके पाठक थे। उन्होंने पूरक परिणाम में बीपीएससी की ओर से पास घोषित परीक्षार्थियों को काउंसलिंग के समय अचानक रुकवा दिया था। जिला तक आवंटित होने के बाद नियुक्ति पत्र रोका गया तो ‘अमर उजाला’ ने इसपर सवाल उठाया था।

इसके बाद से हम लगातार इस खबर का फॉलोअप कर रहे हैं। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा में 18 महीने की इन-सर्विस ट्रेनिंग डिप्लोमा (D.El.Ed धारक अभ्यर्थियों को भी बीपीएससी TRE-1 में आवेदन के लिए योग्य माना गया था। जब बीपीएससी TRE-1 का परिणाम जारी हुआ तो बाकी आवेदकों के साथ इनका भी दस्तावेज सत्यापन-काउंसलिंग से लेकर नियुक्ति पत्र तक जारी कर दिया गया। वह सभी शिक्षक ड्यूटी पर हैं। इसी TRE-1 का एक पूरक परिणाम भी बीपीएससी ने जारी किया था। उसमें भी बाकी के साथ इन डिप्लोमाधारियों को भी पास घोषित किया गया था, लेकिन दस्तावेज सत्यापन के समय इन्हें छांटकर बैठा दिया गया। कोई तारीख नहीं दी गई कि इनके संबंध में अगला आदेश कब और किस तरह का आएगा। यह शिक्षक BPSC TRE 1 रिजल्ट के बाद करीब 18 महीने से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। मतलब, अगर अड़ंगा नहीं लगाया जाता तो 18 महीने की सैलरी उठा चुके होते। चौंकाने वाली बात यह भी थी कि खुद शिक्षा विभाग ने पिछले साल ही स्वीकार किया था कि “सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका पर 10 दिसंबर 2024 को पारित आदेश में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा में 18 महीने की इन-सर्विस ट्रेनिंग डिप्लोमा (D.El.Ed) धारण करने वाले अभ्यर्थियों की पात्रता को मान्य किया गया है।” इससे पहले, बीपीएससी TRE-1 ने अपने विज्ञापन में भी इसे मान्य रखा था और इसी आधार पर इन्हें चयनित सूची में रखा गया था।

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जब मामला लटकाया गया तो अभ्यर्थियों ने अपील-दर-अपील की। फिर सुप्रीम कोर्ट के 10 दिसंबर के फैसले के बाद इन्हें D.El.Ed प्रशिक्षण प्रमाणपत्र और सेवा में होने से संबंधित विद्यालय प्रधान के प्रमाणपत्र के साथ 10 फरवरी को बुलाया गया। ऐसे करीब 155 अभ्यर्थियों का जब दस्तावेज सत्यापन शुरू हुआ तो अचानक इनसे सेवा काल की सैलरी स्लिप की मांग कर दी गई। प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए सेवा में होने से संबंधित विद्यालय प्रधान के प्रमाणपत्र के बाद अब सैलरी स्लिप जुटाना कितना मुश्किल है, यह शिक्षा विभाग भी जानता है। आज भी राज्य में कुछेक बड़े प्राइवेट स्कूलों को छोड़ दें तो सैलरी स्लिप नहीं दी जाती है। ऐसे में पुरानी तारीखों का सैलरी स्लिप मिलना असंभव-सा था। तो, अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अपनी बात पर लड़ाई जारी रखी। इसी लड़ाई का परिणाम रहा, जब 03 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि आदेश के 15 दिनों के अंदर इनका दस्तावेज जांचें और उसके 30 दिनों के अंदर इन्हें नियुक्ति पत्र दें। उन 15 दिनों में दस्तावेजों की जांच नहीं पूरी हुई और अब आदेश की प्रति ऑनलाइन अपलोड होने की तारीख 04 अप्रैल को बीते हुए भी 45 दिनों से ज्यादा हो गए हैं।





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