जन्मदिवस 17 मई के अवसर पर
मखमली आवाज के जादूगर पंकज उधास ने अपनी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायकी से करीब चार दशक तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, लेकिन बचपन के दिनों में वह डॉक्टर बनना चाहते थे। पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट के निकट जेटपुर में जमींदार गुजराती परिवार में हुआ। उनके दादा भावनगर स्टेट के महाराजा के डिप्टी दीवान थे। इसी वजह से पंकज के पिता केशुभाई उधास अक्सर महाराजा के महल में जाया करते थे। एक बार पंकज के पिता की मुलाकात उस ज़माने के एक मशहूर बीनकार अब्दुल करीम खां से हुई। उन्होंने खां साहब से दिलरुबा बजाना सीखा।काम से लौटने के बाद पंकज के पिता बड़ी तल्लीनता के साथ दिलरुबा बजाया करते थे। उसकी आवाज पंकज को भी खूब भाती थी। हालांकि, संगीत में उनकी कोई रुचि नहीं थी। बचपन में पंकज उधास ने सोचा था कि वह बड़े होकर डॉक्टर बनेंगे। पंकज के पिता ने उनसे कहा कि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो बेशक बनिये।
लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप डॉक्टर ही बनें। आप डॉक्टर तभी बनें, जब आपको लगे कि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं। पंकज के पिता जान गए थे कि उनके पुत्र का रुझान किस तरफ है। वह जान गए थे कि पंकज का दिन हारमोनियम बजाते या गाना गाते बीतता है। पंकज ने गुलाम कादर खान से 13 साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया। पंकज के बड़े भाई मनहर उधास अक्सर संगीत से जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने पंकज उधास को भी अपने साथ शामिल कर लिया।एक बार पकंज को एक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका मिला जहां उन्होंने .ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी गीत गाया। इस गीत को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। उनमें से एक ने पंकज उधास को खुश होकर 51 रूपये दिये। इस बीच पंकज उधास राजकोट की संगीत नाट्य अकादमी से जुड़ गये और तबला बजाना सीखने लगे।