Home मनोरंजन शूरवीर अपने पराक्रम को युद्ध में करके दिखाते हैं, बातें नहीं बनाते:...

शूरवीर अपने पराक्रम को युद्ध में करके दिखाते हैं, बातें नहीं बनाते: अमिताभ

70
0
Brave warriors show their prowess in battle

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा है कि शूरवीर अपने पराक्रम को युद्ध में करके दिखाते हैं, बातें नहीं बनाते हैं।

अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया के जरिए हमेशा अपने फैंस के साथ जुड़े रहते हैं। वह ट्वीट के साथ अपने ब्लॉग को लेकर भी काफी चर्चा में रहते हैं। पिछले कुछ वक्त से अमिताभ एक्स पर ब्लैंक ट्वीट शेयर कर रहे थे, जिसे देखकर उनके फैंस भी हैरान थे।भारत-पाकिस्तान के बीच जारी स्थिति और पहलगाम हमले के बाद पैदा हुए तनाव पर शनिवार देर रात महानायक अमिताभ बच्चन ने पहली बार प्रतिक्रिया दी थी। इससे पहले उनकी चुप्पी पर हर कोई सवाल उठा रहा था। अब जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है और तनाव कम हो रहा है। तब अमिताभ ने देर रात अपने एक्स पर एक बार फिर मौजूदा परिस्थिति पर एक ट्वीट किया है।

GNSU Admission Open 2025

अपने इस पोस्ट में अमिताभ ने तुलसीदास जी की रामचरितमानस की एक पंक्ति का जिक्र करते हुए लिखा, ‘सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप।’ पंक्ति का अर्थ बताते हुए उन्होंने लिखा, “पंक्ति का अर्थ है कि शूरवीर अपने पराक्रम को युद्ध में करके दिखाते हैं, वे अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए बातें नहीं बनाते। यह पंक्ति तुलसीदास जी के रामचरितमानस के लक्ष्मण-परशुराम संवाद से ही ली गई है, कि शूरवीर अपनी वीरता को युद्ध में करके दिखाते हैं, वे अपने मुंह से अपनी प्रशंसा नहीं करते। कायर लोग ही युद्ध में शत्रु को सामने देखकर अपनी वीरता की डींगें हांका करते हैं।

अमिताभ ने अपनी पोस्ट में आगे अपने पिता कवि हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का जिक्र किया। साथ ही इस पोस्ट से पहले शेयर की उनकी कविता के बारे में भी लिखा। उन्होंने लिखा, “हाइलाइट की गई लाइन पूरी है। जिसका मतलब है कि युद्ध में वीर बहादुर, अपनी वीरता दिखाते हैं। वे अपनी बहादुरी और वीरता का गुणगान नहीं करते। वो कायर हैं जो दुश्मन को देखकर केवल अपनी बहादुरी का नारा लगाते हैं। शब्दों ने व्यक्त किया है पहले से कहीं अधिक सत्य। एक कवि और उनकी दृष्टि पहले से कहीं अधिक महान। बाबूजी के यह शब्द 1965 के पाकिस्तान के साथ युद्ध के इर्द-गिर्द लिखे गए। हम जीते और विजयी हुए, जिसके लिए उन्हें 1968 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, यानी लगभग 60 साल पहले। 60 साल पहले एक दृष्टि जो आज भी वर्तमान परिस्थितियों में सांस लेती है।”

GNSU Admission Open 2025