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जयशंकर का कड़ा संदेश, सीमा विवाद सुलझे बिना भारत-चीन रिश्तों में सुधार संभव नहीं

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Jaishankar's strong message

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी और भारत-चीन सीमा के मौजूदा हालात पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर 2023 को हुई सहमति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की। इस बैठक में सीमा क्षेत्र की स्थिरता और आपसी संबंध सुधारने पर जोर दिया गया। 21 अक्टूबर के समझौते ने सीमा क्षेत्रों में गश्त को पुनः शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया। विदेश मंत्री ने 2020 की घटनाओं के बाद प्राथमिकता को टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करना बताया। उन्होंने कहा कि हालिया समझौते से तनाव को कम करने में मदद मिली है। 4 जुलाई को अस्ताना और 25 जुलाई को वियनतियाने में विदेश मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष के साथ व्यापक बातचीत की। 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई। 18 नवंबर को ब्राजील के रियो डी जेनेरो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की। भारत ने डेमचोक में पारंपरिक चरागाहों तक पहुंच और स्थानीय आबादी के अधिकारों का मुद्दा उठाया। सहमति के बाद इन क्षेत्रों में गश्त दोबारा शुरू कर दी गई। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि सीमा प्रबंधन में शांति और स्थिरता की आवश्यकता सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ संबंधों का विकास आपसी संवेदनशीलता, सम्मान और हितों पर आधारित होगा। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना। अप्रिय घटनाओं और झड़पों से बचाव। आपसी संवेदनशीलता और सम्मान के आधार पर बातचीत। जयशंकर ने कहा कि सीमा पर तनाव और घटनाओं का सीधा प्रभाव भारत-चीन संबंधों पर पड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीमा क्षेत्रों में शांति के बिना द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा विवाद और तनाव के बावजूद वह स्थिरता, शांति और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों को प्राथमिकता देते हुए कूटनीतिक मार्ग से समाधान की दिशा में अग्रसर है।