सासाराम। व्यस्त जीवन शैली, एकल परिवार एवं मोबाइल का अधिकतम उपयोग बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर रहा है। बच्चों के स्वस्थ्य मानसिक विकास के लिए अभिभावकों को जागरूक किया जाना चाहिए। यह बातें आज विश्व आटिज्म सप्ताह के अवसर पर गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय अंतर्गत नारायण केयर बाल पुनर्वास केंद्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर महेंद्र कुमार सिंह ने कही। इस अवसर पर अपने शुभकामना संदेश में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉक्टर जगदीश सिंह ने कार्यक्रम आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि बच्चों का सामाजिकरण ठीक से नहीं हो पाने के कारण उन बच्चों का मानसिक विकास भी सही तरीके से नहीं हो पाता है, इसलिए बच्चों को अधिकतम समय परिवार के साथ रखना चाहिए तथा हमउम्र बच्चों के साथ खेलने हेतु प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट इनोवेशन कौंसिल की समन्वयक डॉक्टर मोनिका सिंह ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि अभिभावकों को बच्चों के विकास क्रम को बहुत ही ध्यान पूर्वक अवलोकन करते रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के अवांछित व्यवहार अथवा बदलाव होने पर तुरंत चिकित्सकों से संपर्क करना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित मईया फाउंडेशन, पटना की ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉक्टर मंजरी राज ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को आटिज्म से प्रभावित बच्चों की पहचान, आकलन एवं प्रबंधन सहित सेंसेरी इंट्रीगेशन थेरेपी की तकनीक पर अपनी प्रस्तुति दी। डॉक्टर मंजरी ने आटिज्म से प्रभावित बच्चों के अभिभावकों को भी जानकारी दी कि घर में किस प्रकार से इन बच्चों की देख-भाल किया जाए।

उन्होंने यह भी बताया कि आटिज्म से प्रभावित बच्चों को दैनिक क्रिया-कलाप सिखाने के लिए क्या-क्या गतिविधियां सुगमता से घर पर भी किया जा सकता है ताकि मानसिक विकास में देरी के कारण उत्पन्न चुनौतियों को प्रबंधित किया जा सके। नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ कर्नल डॉक्टर ओ. पी. सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार एक न्यूरोलॉजिकल और विकासात्मक विकार है जो लोगों के दूसरों के साथ बातचीत करने, अपनी भावनाए व्यक्त करने, संवाद करने, सीखने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। हालाँकि ऑटिज्म का प्रबंधन किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन इसे “विकासात्मक विकार” के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि लक्षण आमतौर पर जीवन के पहले दो वर्षों में दिखाई देते हैं। अपने संबोधन में नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज के निदेशक डॉक्टर अवनीश रंजन ने कहा कि इस दिवस को मनाने का मकसद यह है कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से प्रभावित लोगों के प्रति जनमानस का ध्यान आकर्षित किया जा सके ताकि लोगों में आटिज्म के प्रति जागरूकता विकसित हो और शीध्र हस्तक्षेप करते हुए चुनौतियों का प्रबंधन किया जा सके।
उन्होंने जानकारी दी कि हमारे अस्पताल में भी अत्याधुनिक जांच एवं प्रबंधन के उपकरणों से सुसज्जित अनुभवी पुनर्वास की टीम के साथ एक उन्नत बाल पुनर्वास केंद्र “नारायण केयर” स्थापित है जहां न्यूरो डेवलपमेंटल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी एवं विशेष शिक्षा की समुचित सुविधा उपलब्ध है। इस केंद्र पर प्रतिदिन इस प्रकार के बच्चे थेरेपी एवं पुनर्वास सेवाओं से लाभान्वित हो रहें हैं। कार्यक्रम में पैथोलोजिस्ट डॉक्टर सीमा एवं विश्वविद्यालय के जन संपर्क अधिकारी भूपेन्द्र नारायण सिंह भी उपस्थित रहकर छात्रों को प्रोत्साहित किया। सेमिनार के आयोजन में डॉक्टर विजय पठानिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। कार्यक्रम के दौरान अनेक चिकित्सक गण, नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज के सभी फैकल्टी, नारायण केयर बाल पुनर्वास केंद्र के सभी पुनर्वास विशेषज्ञ, सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में नारायण केयर के डॉक्टर आशीष कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।