झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तीन महीने बाद भाजपा अब नेता प्रतिपक्ष के चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है। इसके लिए पार्टी नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अगले एक सप्ताह के भीतर नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष—दोनों की घोषणा कर दी जाएगी। भाजपा को लगातार दो विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है, जिससे नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम तय करने में देरी हो रही थी। पार्टी इस बार किसी गैर-आदिवासी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की तैयारी कर रही है, क्योंकि एसटी आरक्षित 28 सीटों में भाजपा को केवल एक पर ही जीत मिली है। विधानसभा पहुंचे दो आदिवासी चेहरों में एक पूर्व सीएम चंपई सोरेन बाहरी हैं, जबकि बाबूलाल मरांडी (जो सामान्य सीट से जीते हैं) पहले ही प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष तय न होने के कारण राज्य सूचना आयुक्त और मानवाधिकार आयोग के सदस्यों के चयन में बाधा आई, जिससे सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।
भाजपा ने 24 फरवरी से शुरू हुए बजट सत्र में बिना नेता के हिस्सा लिया।
सर्वदलीय बैठक में भी पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष गैर-आदिवासी होगा, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष किसी आदिवासी को बनाने की योजना है। हालांकि, आदिवासी वर्ग में पार्टी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है, इसलिए किसी युवा और अपेक्षाकृत नए चेहरे पर दांव लगाया जा सकता है।