सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में जीएसटी, सीमा शुल्क और एफआईआर से संबंधित मामलों पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस सुनवाई में कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) और सीमा शुल्क कानूनों पर भी लागू होता है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी का खतरा है, तो वह बिना एफआईआर दर्ज हुए भी अदालत से अग्रिम जमानत ले सकता है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने पिछले साल मई में सीमा शुल्क और जीएसटी कानूनों में दंडात्मक प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी का डर है, तो वह एफआईआर दर्ज होने से पहले भी अदालत से राहत के लिए आवेदन कर सकता है।
अदालत ने यह भी कहा कि जीएसटी विभाग द्वारा जारी परिपत्रों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इन याचिकाओं में यह आरोप लगाया गया था कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान सीआरपीसी और भारतीय संविधान के साथ असंगत हैं। फैसले में कहा गया कि सीआरपीसी और अन्य संबंधित कानूनों के प्रावधान जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत आने वाले व्यक्तियों पर भी लागू होंगे।
यह निर्णय राधिका अग्रवाल द्वारा 2018 में दायर की गई याचिका पर आधारित था। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उसे बिना एफआईआर दर्ज हुए भी अग्रिम जमानत लेने का अधिकार है। अब अदालत के इस फैसले का पालन किया जाएगा, जिससे इन कानूनों के तहत दंडात्मक प्रावधानों से प्रभावित व्यक्तियों को राहत मिल सकती है।