इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ के दौरान अमावस्या के दिन हुए तीन हादसों में हुई मौतों और लापता लोगों के मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ा दिया है, और अब यह आयोग तीनों भगदड़ों में हुए जानमाल की हानि की भी जांच करेगा।
जनहित याचिका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडे द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि हादसों में हुई मौतों और लापता लोगों के मामले की उच्च स्तरीय जांच हो। पांडे के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने पिछली सुनवाई में कोर्ट में मीडिया रिपोर्ट और वीडियो फुटेज दाखिल किए थे, जिनमें यह दावा किया गया था कि अमावस्या के दिन तीन अलग-अलग जगहों पर भगदड़े हुए थे, जिससे हादसे हुए थे।
इसके अलावा, याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि सरकार ने हादसों में हुई मौतों की संख्या को गलत बताया था, और लापता लोगों के परिजनों से आधार कार्ड की मांग की जा रही थी। सरकार ने जांच के लिए पहले ही न्यायिक आयोग का गठन किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे असंतुष्ट किया और सरकार से रिपोर्ट मांगी थी कि कैसे हादसों में हुई मौतों और लापता लोगों का पता लगाया जाएगा।
सरकार ने सोमवार को कोर्ट को बताया कि न्यायिक आयोग का दायरा बढ़ा दिया गया है, और अब यह आयोग मेला क्षेत्र में हुए सभी हादसों की जांच करेगा। इस नई रिपोर्ट में जानमाल की हानि का भी पता लगाया जाएगा। इसके बाद, कोर्ट ने सरकार के आश्वासन पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।