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दिल्ली में महिला नेतृत्व की नई शुरुआत: सत्ता और विपक्ष दोनों में पहली बार महिलाएं शीर्ष पदों पर

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New beginning of women leadership in Delhi: For the first time

दिल्ली विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा है, जहां पहली बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में शीर्ष पदों पर महिलाएं विराजमान हुई हैं। इससे पहले दिल्ली में केवल मुख्यमंत्री पद पर ही एक महिला का नाम दर्ज था, लेकिन इस बार विपक्षी दल में भी पहली बार एक महिला को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। यह न केवल दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में बढ़ती भागीदारी और उनकी बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है। भा.ज.पा. (भारतीय जनता पार्टी) ने पहली बार विधानसभा में पहुंची रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह दिल्ली विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ है कि महिला नेता को मुख्यमंत्री पद पर चुना गया। रेखा गुप्ता का चुनाव न केवल भाजपा के लिए, बल्कि दिल्ली की राजनीति के लिए भी एक नई दिशा का संकेत है। उनकी नियुक्ति से महिलाओं के लिए राजनीतिक क्षेत्र में अवसरों का दरवाजा खुलता है, जो विशेष रूप से सत्ता पक्ष में नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं को अधिक प्रासंगिक बनाता है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया है। यह दिल्ली विधानसभा में विपक्षी दल के नेतृत्व में एक महिला का पहला आगमन है। आतिशी की नियुक्ति ने दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को और अधिक प्रतिष्ठित किया है। उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी विपक्ष में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का प्रयास करेगी और यह महिलाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत साबित हो सकता है, जो राजनीति में समानता और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। दिल्ली विधानसभा का इतिहास महिला मुख्यमंत्री के साथ शुरू हुआ था, जब 1993 से 1998 तक भाजपा ने मदनलाल खुराना, साहिब सिंह और चुनाव से कुछ माह पहले सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और उनकी नेतृत्व शैली को भारतीय राजनीति में एक मील का पत्थर माना गया। इस दौरान, नेता प्रतिपक्ष के रूप में कांग्रेस विधायक जगप्रवेश चंद्र रहे थे। वर्ष 1998 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद, कांग्रेस ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया। वह 2013 तक इस पद पर बनी रहीं और उनके कार्यकाल को दिल्ली के विकास और सामाजिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान, भाजपा ने कई कार्यकालों में अपने वरिष्ठ नेताओं को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी, जिनमें प्रो. जगदीश मुखी और प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा शामिल थे। 2013 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद, पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने और उनके शासन के दौरान पार्टी ने 2024 के मध्य तक सत्ता में रहने का कार्य किया। आम आदमी पार्टी ने अपने तीसरे कार्यकाल में आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया और उनका कार्यकाल भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक चुनौती बन गया। भाजपा ने 2013 से 2024 तक विभिन्न नेताओं को नेता प्रतिपक्ष के रूप में चुना, जिनमें डॉ. हर्षवर्धन, विजेंद्र गुप्ता और रामवीर सिंह बिधूड़ी शामिल थे। अब, 2024 में दिल्ली विधानसभा में महिलाओं की बढ़ती भूमिका ने राजनीति में एक नया बदलाव ला दिया है। रेखा गुप्ता और आतिशी की नियुक्ति ने न केवल दिल्ली की राजनीति को बल्कि भारतीय राजनीति को भी यह संदेश दिया है कि महिलाएं नेतृत्व की भूमिका में पूरी तरह से सक्षम हैं। उनकी नियुक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि महिलाएं अब सत्ता और विपक्ष दोनों में समान रूप से प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं। यह घटना महिलाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बन सकती है, क्योंकि इससे यह साबित होता है कि राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए दरवाजे खुले हैं और वे किसी भी पद पर नियुक्त हो सकती हैं। दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के नेतृत्व के इस नए दौर की शुरुआत ने इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीदों को और भी प्रबल कर दिया है।


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