कामरान खान, जो आईपीएल के शुरुआती सीज़न में अपनी गति से सभी का ध्यान आकर्षित करने वाले तेज गेंदबाज रहे, क्रिकेट की दुनिया में एक अद्भुत और प्रेरणादायक उदाहरण बने हुए हैं। उनकी यात्रा में संघर्ष, प्रतिभा और मौके का सम्मिलन है। शेन वॉर्न जैसे दिग्गज के द्वारा “टॉरनेडो” के रूप में सराहे गए कामरान ने क्रिकेट के मैदान पर अपने प्रदर्शन से अपनी पहचान बनाई, लेकिन एक विवाद ने उनके करियर को बेहद प्रभावित किया।
2009 में 145 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले कामरान की सफलता का अहम क्षण था जब वॉर्न ने उन्हें आईपीएल का पहला सुपरओवर करवाया था। कामरान ने उस सुपरओवर में क्रिस गेल को आउट कर राजस्थान रॉयल्स को जीत दिलाई थी। हालांकि, चकिंग के आरोपों ने उनके करियर को संकटकालीन मोड़ दे दिया। कामरान के मुताबिक, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बायोमेकेनिक्स टेस्ट में सफलता पाई और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से भी स्वीकृति प्राप्त की थी, फिर भी उनके साथ भेदभाव हुआ।
कामरान का मानना था कि अगर उन्हें सही समय पर समर्थन और मदद मिलती, तो वे शोएब अख्तर जैसे गेंदबाजों को अपनी गति से पीछे छोड़ सकते थे। वह मानते हैं कि 17 साल की उम्र में 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करना कोई मामूली बात नहीं थी और उनका 145 किमी प्रति घंटा की औसत गति बताती है कि वे एक अनूठी प्रतिभा थे।
आज भी उनका उद्देश्य दूसरों की मदद करना है। उनका सपना है कि वे आजमगढ़ या लखनऊ में अकादमी खोलकर उन बच्चों को ट्रेनिंग दें, जिनके पास पैसे की कमी के कारण क्रिकेट खेलने के अवसर नहीं हैं। वे गरीब प्रतिभाओं की खोज करना चाहते हैं और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने के साथ-साथ खाने-पीने का भी ध्यान रखना चाहते हैं।
कामरान का आईपीएल सफर संक्षिप्त था, लेकिन इस दौरान उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। 2009 में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले गए पांच मैचों में उनका प्रदर्शन शानदार था, जहां उन्होंने 6 विकेट 20.66 की औसत और 7.01 की इकोनॉमी रेट से लिए। 2010 में उन्होंने तीन मैच खेले और तीन विकेट लिए, लेकिन 2011 में उन्हें सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें वे कोई विकेट नहीं ले पाए।