बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक व्यवसायिक विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने अदालत से चार हफ्ते के लिए सुनवाई स्थगित करने की अपील की। वकील का कहना था कि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे इस मामले में आगे सुनवाई करेंगे, लेकिन वह अभी विदेश में हैं और जैसे ही वह लौटेंगे, वह सुनवाई में शामिल होंगे।
इस पर जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइंया की पीठ ने वकील को सख्त लहजे में फटकार लगाई और कहा कि “क्या आपको ऐसा लगता है कि हम सुनवाई सिर्फ इसलिए स्थगित कर देंगे क्योंकि आपने एक वरिष्ठ वकील का नाम लिया है?” पीठ ने यह भी कहा कि वकीलों को इस आदत को छोड़ना होगा और कोर्ट के समय का सम्मान करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस आधार पर सुनवाई स्थगित नहीं की जा सकती।
हालांकि, पीठ ने बाद में वकील की अपील को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। हरीश साल्वे, जो देश के शीर्ष वकीलों में से एक माने जाते हैं और कई हाई प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं, के शामिल होने की वजह से यह निर्णय लिया गया।
यह घटना अदालत की गरिमा बनाए रखने और सुनवाई की प्रक्रिया को बिना किसी बाहरी दबाव के चलाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को फटकार लगाई थी, जब वह अपनी कार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए थे। उस समय अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए वकील को कोर्ट की गरिमा बनाए रखने का निर्देश दिया था।