
संत प्रेमानंद महाराज की रात में निकलने वाली पदयात्रा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. स्थानीय निवासियों की शिकायत के बाद यह यात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है.
क्या है विवाद?
हर रात करीब दो बजे संत प्रेमानंद महाराज अपने अनुयायियों के साथ श्रीराधाकेली कुंज के लिए पदयात्रा पर निकलते थे. इस दौरान हजारों भक्त उनके दर्शन के लिए सड़क किनारे जमा होते, भजन-कीर्तन करते और पटाखे फोड़ते थे. कॉलोनीवासियों का कहना है कि इस शोर-शराबे से उनकी रातों की नींद खराब होती थी, खासकर बुजुर्गों, बीमारों और उन लोगों को जो सुबह स्कूल या ऑफिस जाते हैं.
एनआरआई ग्रीन कॉलोनी का विरोध
स्थानीय लोगों ने खासतौर पर महिलाएं, इस यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन में उतर आईं. उन्होंने तख्तियां लेकर विरोध जताया और नारे लगाए— “कौन सी भक्ति, कौन सा दर्शन, ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन.” उनका कहना था कि आधी रात को पटाखों की आवाज और लाउडस्पीकर से होने वाले शोर के कारण वे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो रहे थे.
आश्रम का पक्ष
संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम की ओर से सफाई दी गई कि यात्रा के दौरान भक्तों द्वारा किए जाने वाले ध्वनि प्रदूषण से उनका कोई संबंध नहीं है. आश्रम हमेशा से अनुयायियों को शांति बनाए रखने की अपील करता आया है, लेकिन कुछ लोग इस निर्देश का पालन नहीं करते.
यात्रा स्थगित
स्थानीय निवासियों की नाराजगी को देखते हुए आश्रम प्रशासन ने पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए रोकने का फैसला किया. सोशल मीडिया और फेसबुक पेज के माध्यम से यह जानकारी सार्वजनिक की गई. अब संत प्रेमानंद महाराज रात में भक्तों को दर्शन नहीं देंगे.