यह घटना अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सहायता नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करने का आदेश दिया है। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि एजेंसी ने अमेरिकी करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल किया है। इसके अतिरिक्त, ट्रंप प्रशासन ने अरबपति एलन मस्क को अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश भी दिया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन पैसों का दुरुपयोग न हो।
यह कदम तब उठाया गया जब ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया कि USAID ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ विवादास्पद फंडिंग निर्णय किए हैं। उदाहरण के लिए, एजेंसी पर यह आरोप है कि उसने आतंकवादी संगठनों, जैसे कि अलकायदा और लश्कर-ए-तैयबा (LET), को फंड दिया। 2019 में, USAID ने हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को 110,000 डॉलर की सहायता दी थी, जो एक प्रमुख आतंकवादी समूह है और भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा है। इसके अतिरिक्त, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो पाकिस्तान स्थित एक संगठन है और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है, को भी USAID ने फंड किया था। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि USAID ने ऐसे संगठनों को बिना किसी जिम्मेदारी के फंडिंग दी है, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिला है।
एलन मस्क ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है, और इसे करदाताओं के पैसे की “बेवजह बर्बादी” करार दिया है। उनका यह कहना है कि अमेरिका का पैसा ऐसे संगठनों को दिया गया है जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले को सही ठहराते हुए दावा किया कि USAID के अधिकारियों ने दशकों तक अपने कार्यों के लिए किसी के प्रति जवाबदेह नहीं समझा था, और अब यह युग समाप्त हो चुका है। उनका उद्देश्य सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकना है।
हालांकि, इस फैसले पर पूर्व राष्ट्रपति बाइडन, ओबामा, जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन और रीगन प्रशासन में काम करने वाले अधिकारियों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि USAID की गतिविधियां न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन अधिकारियों का मानना है कि USAID द्वारा किए गए कार्य अमेरिका के हितों की रक्षा करते हैं और यह एजेंसी दुनिया भर में सामाजिक, आर्थिक और मानवीय सहायता का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है।
मंथा पावर, गेल स्मिथ, एंड्रयू नैट्सियोस, जे. ब्रायन एटवुड और पीटर मैकफर्सन जैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों ने इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि USAID के माध्यम से दी जाने वाली सहायता अमेरिका के रणनीतिक और राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक है। उनका कहना है कि अमेरिकी संसद का कर्तव्य है कि वह USAID की रक्षा करें, क्योंकि यह एजेंसी लोकतांत्रिक मानकों और वैश्विक मानवीय विकास को बढ़ावा देती है।
USAID के तहत दुनिया भर में लगभग 120 देशों में विभिन्न प्रकार की योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं में स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, विकास, और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। 2023 में USAID के कार्यक्रमों ने 72 अरब डॉलर की सहायता दी, जो कि वैश्विक विकास और मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण रही।
यह फैसला केवल USAID के कार्यों को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी प्रभाव डालेगा। यदि USAID को समाप्त किया जाता है, तो इससे दुनिया भर के कई देशों में चल रहे विकास कार्यों और सहायता कार्यक्रमों में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। साथ ही, यह अमेरिका की वैश्विक साख और प्रभाव को भी कमजोर कर सकता है, क्योंकि USAID एक प्रमुख संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति निर्माण के प्रयासों में शामिल है।
इस प्रकार, ट्रंप प्रशासन का यह निर्णय न केवल USAID के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सहायता नीति में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।