भारत से अमेरिका तक अवैध प्रवासन का रास्ता पहले हवाई यात्रा द्वारा तय किया जाता था, लेकिन अब यह एक खतरनाक और महीनों तक चलने वाली यात्रा बन गया है। ‘डंकी रूट’ के माध्यम से यह यात्रा 15,000 किलोमीटर तक फैली हुई है, और इस रास्ते से यात्रा करने वाले युवाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
पंजाब और हरियाणा के हजारों युवाओं को अमेरिका पहुंचाने के लिए जालंधर में स्थित एजेंटों ने 50-50 लाख रुपये की भारी रकम लेकर उन्हें अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचाने का कारोबार शुरू किया। अरबों रुपये के इस माफिया नेटवर्क को न केवल राजनीतिक समर्थन प्राप्त था, बल्कि सरकारी और पुलिस अधिकारियों की भी मिलीभगत थी। यही वजह है कि यह अवैध कारोबार जालंधर से होते हुए हरियाणा तक फैल चुका है।
2005 से 2007 के बीच जालंधर के एक प्रमुख एजेंट ने ग्रीस दूतावास के जरिए युवाओं को शैनेगन देशों में भेजा और फिर उन्हें पनामा और मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में प्रवेश कराया। हालांकि, अमेरिकी एफबीआई ने ग्रीस दूतावास पर छापेमारी कर कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया, लेकिन इस अवैध धंधे को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका। इसके बाद, नए रूट्स खोजे गए, जैसे कि इक्वाडोर, बोलीविया, और गुयाना, जिन देशों में भारतीयों को वीजा ‘ऑन अराइवल’ मिल जाता है।
2023 में, एक और मानव तस्करी की घटना में फ्रांस पुलिस ने एक विमान को रोका, जिसमें 303 भारतीय नागरिक अवैध तरीके से अमेरिका जा रहे थे। इनमें 11 नाबालिग भी थे। इस तरह के रूट्स का उपयोग विशेष रूप से मेक्सिको और निकारागुआ जैसे मध्य अमेरिकी देशों के माध्यम से किया जा रहा है, जो शरणार्थियों के लिए अमेरिका तक पहुंचने के मुख्य रास्ते बन गए हैं।
अमेरिकी सीमा गश्ती बल (सीबीपी) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 96,917 भारतीयों ने अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास किया। इस बढ़ते खतरे के मद्देनजर, न केवल भारतीय सरकार को, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस समस्या के समाधान के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
मानव तस्करी और अवैध प्रवासन के इस कारोबार को रोकने के लिए सही जानकारी, सख्त कानून और जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है ताकि हजारों युवाओं की जिंदगियों को बचाया जा सके।