यूनाइटेड स्टेट्स (यूएस) से डिपोर्ट होकर भारत लौटे 104 भारतीय नागरिकों को लेकर यूएस आर्मी का विमान आज दोपहर अमृतसर स्थित श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड कर चुका है। इस डिपोर्टेशन में भारतीय नागरिकों के विभिन्न राज्यों से शामिल होने की जानकारी मिली है। इन 104 लोगों में सबसे ज्यादा गुजरात और हरियाणा से हैं, जिनमें से प्रत्येक राज्य से 33-33 लोग डिपोर्ट हुए हैं। इसके बाद पंजाब से 30 लोग शामिल हैं, जिनमें विभिन्न जिलों के नागरिक हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से तीन-तीन लोग और चंडीगढ़ से दो लोग डिपोर्ट हुए हैं।
पंजाब के डिपोर्ट हुए नागरिकों में सबसे ज्यादा कपूरथला के 6 लोग हैं, जबकि अमृतसर से 5, पटियाला से 4, जालंधर से 4 और अन्य जिलों जैसे नवाशहर, होशियारपुर, लुधियाना, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब, तरनतारन, गुरदासपुर और संगरूर से भी एक-एक नागरिक अमेरिका से लौटे हैं।
अमृतसर एयरपोर्ट पर विमान को उतारने के कई कारण थे। पहला कारण यह था कि डिपोर्ट होने वालों में पंजाब और हरियाणा के लोग ज्यादा थे। इसके अलावा, दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बुधवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा था, जिससे वहां पर विमान को उतारना संभव नहीं था। दिल्ली में चुनाव और एयर ट्रैफिक की अधिकता के कारण अमृतसर एयरपोर्ट पर विमान को उतारने का निर्णय लिया गया।
इस डिपोर्टेशन के पीछे एक और बड़ा कारण है, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ उठाए गए कदमों से जुड़ा हुआ है। ट्रंप के कार्यकाल में अवैध तरीके से रहने वाले विदेशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी, और इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया गया। इस कार्रवाई के तहत, यूएस आर्मी का विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, और जिला प्रशासन द्वारा सभी डिपोर्ट हुए नागरिकों को डिटेन किया गया।
एयरपोर्ट पर उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी, और उसके बाद उन्हें उनके घरों की ओर रवाना कर दिया जाएगा। अमृतसर एयरपोर्ट पर यह विमान सीधे एविएशन क्लब में लैंड किया था, जहां यूएस के अधिकारियों और भारत के मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अधिकारियों के बीच मीटिंग आयोजित की जाएगी। इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य अवैध तरीके से अमेरिका जाने वालों को रोकने के लिए चर्चा करना है।
वर्तमान में, इन डिपोर्ट किए गए भारतीयों को भेजने के लिए एजेंटों का सहारा लिया जाता है, जो प्रति व्यक्ति 35 से 40 लाख रुपये की राशि लेते हैं। एजेंट इन्हें गैर-कानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचाने के लिए मैक्सिको, पनामा जैसे देशों के जंगलों से होकर गुजरने के लिए भेजते हैं। कई बार इन लोगों को जंगलों में भटकते हुए भूख और प्यास के कारण अपनी जान भी गंवानी पड़ती है।
अब, इन डिपोर्ट किए गए लोगों को मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले कर दिया जाएगा, जहां उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी और फिर उन्हें उनके घरों को रवाना कर दिया जाएगा। यह घटना भारत और अमेरिका के बीच अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रही सख्त कार्रवाई को दर्शाती है।