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संगम नोज़ पर भगदड़ से मचा हड़कंप, योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से की अपील – “यहाँ न आएं”

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Yogi Adityanath appeals to devotees - "Don't come here"

Mahakumbh 2025: प्रयागराज के कुंभ मेला में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या की रात संगम नोज़ पर एक दिल दहला देने वाली भगदड़ मच गई, जिससे 12 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है और कई लोग घायल हो गए हैं. कुंभ के इस अहम दिन ने प्रशासन को संकट में डाल दिया, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल एक अपील जारी करते हुए श्रद्धालुओं से संगम नोज़ की तरफ न जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “जहाँ हैं, वहीं स्नान करें.”

क्या है संगम नोज ?

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अब आप सोच रहे होंगे, संगम नोज़ आखिर है कहाँ? यह वही पवित्र स्थल है, जहाँ गंगा और यमुना नदियाँ मिलकर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं. दोनों नदियाँ यहाँ अलग-अलग रंगों में नजर आती हैं—यमुना का पानी हल्का नीला और गंगा का मटमैला. यह जगह धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि हर साल लाखों श्रद्धालु यहां पवित्र स्नान करने आते हैं, खासकर अमृत स्नान के दिन.

लेकिन इस बार संगम नोज़ पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि प्रशासन को स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो गया. कुंभ मेला क्षेत्र में इस बार खास इंतजाम किए गए थे, जैसे संगम घाट के क्षेत्र को तीन गुना बढ़ाना ताकि ज्यादा श्रद्धालु आसानी से स्नान कर सकें. अधिकारियों ने रेत की बोरियाँ बिछाकर संगम नोज़ पर स्नान की क्षमता को 50,000 से बढ़ाकर 2 लाख श्रद्धालुओं तक पहुँचाया. फिर भी, भगदड़ की घटना ने सबको चौंका दिया. यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ ने तुरंत संगम नोज़ पर जाने से मना किया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. “कुंभ मेला एक धार्मिक उत्सव है, सबको सुरक्षित रहने की जरूरत है,” उन्होंने कहा. यह तो मानिए कि संगम नोज़ की ये जगह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक और ऐतिहासिक केंद्र भी है. जहां गंगा-यमुना का मिलन होता है, वहाँ पर हर श्रद्धालु अपने पाप धोने और आत्मा को शांति देने की आशा लेकर आता है। अब, योगी आदित्यनाथ की अपील के बाद, यह देखने की बात होगी कि क्या श्रद्धालु प्रशासन की बात मानते हैं या फिर इस भगदड़ के बाद मेला क्षेत्र में और सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जाएगा. कुंभ मेला हर 12 साल में चार प्रमुख शहरों में आयोजित होता है, और इस बार प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला यह आयोजन एक बार फिर धार्मिक श्रद्धा और आशा का प्रतीक बनकर उभरा है.

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