अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णयों के लिए जाने जाते थे। उन्हीं निर्णयों में एक अहम निर्णय ट्रांसजेंडर सैनिकों के संदर्भ में था, जिसमें ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस आदेश के तहत ट्रांसजेंडर सैनिकों की भर्ती पर प्रतिबंध लगाने की संभावना को मजबूत किया गया था और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को पेंटागन की नीति में संशोधन करने का निर्देश दिया गया था। ट्रंप के इस फैसले के अनुसार, भविष्य में ऐसे सैनिकों की भर्ती पर रोक लग सकती है, जो अपने जैविक लिंग के अलावा किसी अन्य लिंग के रूप में पहचाने जाते हैं। इसके साथ ही यह भी आदेश दिया गया था कि कोविड-19 के दौरान वैक्सीनेशन से इनकार करने वाले सैनिकों को बहाल किया जा सकता है, जिन्हें पहले नौकरी से निकाल दिया गया था।
यह फैसला ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान किए गए उस प्रयास को फिर से लागू करने की दिशा में था, जब उन्होंने ट्रांसजेंडर सैनिकों की भर्ती पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। हालांकि उस समय कानूनी कार्यवाही के चलते ट्रंप का यह आदेश लागू नहीं हो पाया था। इस बार फिर से, ट्रंप के आदेश में यह कहा गया कि जो सैनिक अपने जैविक लिंग के अलावा किसी अन्य लिंग के रूप में पहचाने जाते हैं, उनकी सेवा एक सैनिक की “सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली” के खिलाफ हो सकती है और इससे सैन्य तैयारी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस विचार को आधार मानते हुए, ट्रंप ने इस मामले पर नीति में बदलाव की आवश्यकता जताई।
ट्रंप के इस आदेश से उम्मीद की जा रही थी कि यह ट्रांसजेंडर सैनिकों पर भर्ती में प्रतिबंध लगाने के लिए एक ठोस कदम होगा, लेकिन उन्होंने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को यह निर्देश दिया कि यह नीति पेंटागन में कैसे लागू की जाएगी, इसके बारे में विस्तृत योजना तैयार की जाए। हालांकि, यह आदेश एक विवादास्पद कदम था और इसे कई लोग संवेदनशील मुद्दा मानते थे। ट्रंप के आदेश से पहले, जो बाइडन ने सत्ता संभालने के बाद ट्रंप के फैसले को पलट दिया था और ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा में शामिल करने की अनुमति दी थी।
ट्रंप के इस नए आदेश के खिलाफ ट्रांसजेंडर सैनिकों के वकीलों ने पहले ही चेतावनी दी है कि वे इसे अदालत में चुनौती देंगे, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया था। इस फैसले के बाद यह सवाल उठता है कि क्या यह आदेश फिर से कानूनी चुनौतियों का सामना करेगा और अमेरिकी न्यायपालिका इस पर क्या निर्णय लेगी।
इससे पहले ट्रंप ने अपनी प्रशासनिक नीतियों में कई ऐसे निर्णय लिए थे, जो विवादित थे, और यह आदेश भी एक उदाहरण था कि कैसे एक संवेदनशील मुद्दे पर सरकार की नीति और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच टकराव हो सकता है। अमेरिका में ट्रांसजेंडर अधिकारों को लेकर बहस अब भी जारी है, और यह आदेश इस मुद्दे पर नए विवाद को जन्म दे सकता है।