Home खेल कबड्डी के खेल से बदली लड़कियों की ज़िंदगी, परिवार और समाज की...

कबड्डी के खेल से बदली लड़कियों की ज़िंदगी, परिवार और समाज की सोच में आया बदलाव

170
0
The game of Kabaddi changed the lives of girls, changed the thinking of family and society.

14 साल की मीना के लिए कबड्डी महज़ एक खेल नहीं, बल्कि एक नई ज़िंदगी की शुरुआत है. छोटे से आदिवासी गांव कुशोडी की यह लड़की हर सुबह अंधेरे में घर से निकलती है और देर शाम तक मैदान पर पसीना बहाती है. जहां पहले घर के काम और समाज की अपेक्षाओं में जकड़ी मीना अब आत्मविश्वास और सपनों से भर गई है.

कबड्डी के ज़रिए गांव की लड़कियां न सिर्फ़ अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि समाज की सोच को भी बदलने में कामयाब हो रही हैं. इसकी शुरुआत 15 साल पहले कुछ शिक्षकों ने की, जिनका सपना था कि लड़कियां भी खेल के ज़रिए अपने जीवन को बेहतर बना सकें.

GNSU Admission Open 2025

परिवारों को मनाने में लगे साल

शुरुआत आसान नहीं थी. पारंपरिक समाज में लड़कियों का घर से बाहर निकलना और देर शाम लौटना सवालों के घेरे में था. माता-पिता को मनाने के लिए शिक्षकों को घर-घर जाना पड़ा। उन्हें यकीन दिलाना पड़ा कि लड़कियां सुरक्षित माहौल में खेलेंगी.

लड़कियों ने बदला अपना भविष्य

आज इस क्लब में 30 से ज़्यादा लड़कियां ट्रेनिंग ले रही हैं. इनमें से कई ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर मेडल जीते हैं. सिद्धि चाल्के और समरीन बुरांदकर जैसे नाम अब प्रोफेशनल लीग में खेल रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं.

समाज ने भी बदली सोच

समुदाय ने भी इन लड़कियों को स्वीकार करना शुरू कर दिया है. जो लोग पहले लड़कियों के खेलने पर सवाल उठाते थे, आज उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं। गांव की अन्य लड़कियों के लिए ये खिलाड़ी प्रेरणा बन चुकी हैं.

सपने बड़े हैं

मीना कहती हैं, “मैं इंडिया टीम की कप्तान बनना चाहती हूं. मेरे लिए कबड्डी एक नई आज़ादी है.” यह सिर्फ मीना की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों लड़कियों की कहानी है, जिन्होंने कबड्डी के ज़रिए अपनी दुनिया बदल दी है.

इस बदलाव का श्रेय उन शिक्षकों को जाता है जिन्होंने न सिर्फ इन लड़कियों को खेल सिखाया, बल्कि समाज और परिवार की सोच बदलने का हौसला भी दिया.

GNSU Admission Open 2025