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गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि: कैसे चुने जाते हैं और किस देश ने सबसे अधिक बार पाया यह सम्मान?

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Republic Day Chief Guest: How are they selected and which country has received this honour the most number of times?

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल एक विशेष अतिथि को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. यह परंपरा 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस से ही चली आ रही है. इस साल, भारत के 76वें गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. खास बात यह है कि 1950 में भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति इस आयोजन के पहले मुख्य अतिथि थे.

कैसे तय होता है गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि?

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गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि का चयन एक लंबी और रणनीतिक प्रक्रिया है, जो आयोजन से लगभग छह महीने पहले शुरू होती है. यह प्रक्रिया मुख्य रूप से भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है.

राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों का आकलन सबसे पहले, उन देशों की एक लिस्ट तैयार की जाती है जिनके साथ भारत के मजबूत राजनीतिक, कूटनीतिक, आर्थिक, रक्षा सहयोग, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक संबंध हैं. भविष्य की रणनीति कुछ मामलों में, किसी ऐसे देश को आमंत्रित किया जाता है जिससे संबंध बेहतर करने की आवश्यकता हो। यह कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा होता है. अंतिम निर्णय और अनुमोदन यह प्रस्ताव राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है. उनकी मंजूरी के बाद, मुख्य अतिथि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है. यदि स्वीकृति मिलती है, तो विदेश मंत्रालय संबंधित देश के साथ आधिकारिक संपर्क बनाकर आगे की तैयारियों को पूरा करता है.

कौन से देश सबसे अधिक बार बने मुख्य अतिथि?
भारत ने अब तक एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका सहित कई देशों के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है. फ्रांस: फ्रांस के नेता कुल 6 बार मुख्य अतिथि बने हैं, जो किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है. पाकिस्तान: पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी दो बार मुख्य अतिथि आए. 1955: पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद 1965: पाकिस्तान के कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद अमेरिका: 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि बने थे. विशेष क्यों है यह परंपरा? गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चुनाव न केवल भारत की कूटनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर भी प्रदान करता है. इसके माध्यम से भारत अपनी वैश्विक छवि को न केवल उजागर करता है, बल्कि अपने साझेदारों को सम्मान देने का संदेश भी देता है.

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