गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह में बिहार की झांकी इस बार खास आकर्षण का केंद्र बनने वाली है. बता दें कि आठ साल बाद बिहार की झांकी कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित की जाएगी, जिसमें राज्य की समृद्ध और शांति की परंपरा को भव्य रूप से दिखाया जाएगा. इस झांकी में नालंदा के प्राचीन गौरव और उसके संरक्षण के प्रयासों को प्रमुख रूप से दर्शाया गया है.
झांकी में भगवान बुद्ध की मूर्ति के साथ-साथ घोड़ा कटोरा झील को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयासों को भी दर्शाया गया है. बोधिवृक्ष इस बात का प्रतीक होगा कि यही धरती से ज्ञान का प्रकाश पूरे संसार में फैला.
बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करने वाली इस झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार के भग्नावशेषों का चित्रण भी किया जाएगा, जो बिहार सरकार के प्रयासों से पुनः स्थापित हो रहा है. इसके अलावा, झांकी में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयासों को भी दिखाया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से निर्मित है.

नालंदा विश्वविद्यालय और अन्य योजनाओं का महत्व
19 जून 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में नालंदा विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया था. यह विश्वविद्यालय प्राचीन नालंदा महाविहार की वास्तुकला पर आधारित है और यह कार्बन न्यूट्रल और नेट जीरो कैंपस के रूप में स्थापित हुआ है. इसके अलावा, बिहार सरकार ने नालंदा में राजगीर खेल परिसर और बिहार खेल विश्वविद्यालय की भी स्थापना की है, जो राज्य के खेल क्षेत्र को एक नई दिशा दे रहा है.बता दें कि इस वर्ष राजगीर खेल परिसर में बिहार वीमेंस एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन किया गया था, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा गया.
गणतंत्र दिवस 2025 की परेड में बिहार की यह झांकी ना केवल राज्य की समृद्ध विरासत और इतिहास को दुनिया के सामने लाएगी, बल्कि यह नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का भी प्रतीक बनेगी. इस साल की झांकी दर्शकों को बिहार की प्राचीनता और आधुनिकता के मेल का अहसास कराएगी.