
अमेरिका में पैदा होने पर भी नहीं मिलेगी नागरिकता: ट्रंप का नया फरमान भारतीयों के लिए ‘ड्रीम ब्रेकर’
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत धमाकेदार तरीके से की है. उन्होंने एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत कर जन्म के आधार पर नागरिकता मिलने के कानून में बड़ा बदलाव कर दिया है। इस कदम का असर अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय, खासतौर पर H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में फंसे परिवारों पर गहराई से पड़ सकता है.
नए आदेश के अनुसार, अब केवल वही बच्चे अमेरिकी नागरिक बन सकेंगे, जिनके माता-पिता में से कोई एक अमेरिकी नागरिक, ग्रीन कार्ड धारक, या अमेरिकी सेना का सदस्य हो. भारतीय माता-पिता के लिए, जिनके बच्चे अमेरिका में जन्म लेते थे और स्वचालित रूप से नागरिकता पाते थे, यह बदलाव एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

भारतीय समुदाय के लिए नई मुश्किलें
इस बदलाव से अमेरिका में रह रहे 48 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी परिवारों में चिंता की लहर दौड़ गई है. जो परिवार H-1B वीज़ा या ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में वर्षों से अटके हुए हैं, उनके बच्चों के लिए नागरिकता हासिल करना अब एक चुनौती बन जाएगा.
इसके अलावा, परिवारों के पुनर्मिलन पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि अब अमेरिकी नागरिक बने बच्चे 21 साल की उम्र के बाद अपने माता-पिता को अमेरिका नहीं बुला सकेंगे.
“बर्थ टूरिज्म” के खिलाफ ट्रंप का तर्क
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम “बर्थ टूरिज्म” और अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए आवश्यक है. हालांकि, इस नीति का सीधा प्रभाव उन भारतीय परिवारों पर पड़ेगा, जो इस कानून का गलत फायदा नहीं उठाते थे और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका में बसे थे.
कानूनी चुनौती के घेरे में आदेश
इस एग्जिक्यूटिव ऑर्डर को लेकर सिविल राइट्स ग्रुप और कानूनी विशेषज्ञों ने विरोध जताया है. उनका तर्क है कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन को केवल एग्जिक्यूटिव ऑर्डर के जरिये बदलना असंवैधानिक है. अदालत में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी, लेकिन फिलहाल भारतीय समुदाय में असमंजस और बेचैनी का माहौल है.
क्या ट्रंप का यह विवादास्पद कदम अमेरिका की कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था पर खरा उतरेगा, या यह भारतीय समुदाय के लिए “ड्रीम ब्रेकर” साबित होगा? यह देखना बाकी है.