कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को पटना पहुंचे, जहां वे संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए बापू सभागार में मौजूद हुए. आपको बात दें कि उनके साथ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है, जिससे अंदाजा लगाए जा रहे हैं कि बिहार में जल्द ही कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है. राहुल गांधी जैसे ही पटना एयरपोर्ट पहुंचे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश ने उनका स्वागत किया. इसके बाद, राहुल गांधी होटल मौर्या पहुंचे, जहां तेजस्वी यादव पहले से ही मौजूद थे. होटल में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान, तेजस्वी यादव ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और दोनों नेता होटल के गेट से होते हुए तेजस्वी यादव के कमरे में बैठक करने गए. इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह बैठक राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में कोई नया मोड़ ला सकती है.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच कोई रणनीतिक समझौता हो सकता है? विशेष रूप से, बिहार की राजनीति में महागठबंधन के भीतर कांग्रेस और आरजेडी का सहयोग एक महत्वपूर्ण विषय रहा है. राहुल गांधी की यह यात्रा, जहां वे संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे, इस बैठक से पहले, दोनों दलों के बीच के रिश्तों को लेकर नई उम्मीदों को जन्म दे सकती है.बात करें संविधान सुरक्षा सम्मेलन की, तो यह कार्यक्रम बापू सभागार में शुरू हो चुका था, जहां सामाजिक संगठनों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई. सम्मेलन के दौरान सभागार में जय भीम जय संविधान के जोरदार नारे गूंज रहे थे. इस सम्मेलन में राहुल गांधी के संबोधन की प्रतीक्षा की जा रही थी, जो संविधान और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
इसके बाद राहुल गांधी का कार्यक्रम था, जिसमें वे कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम जाकर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. इस दौरान उन्होंने बिहार में कांग्रेस की गतिविधियों को गति देने और राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने की योजना पर विचार किया. कुल मिलाकर, राहुल गांधी की पटना यात्रा और उनकी तेजस्वी यादव से मुलाकात ने बिहार की राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं. समय आने पर यह स्पष्ट होगा कि क्या यह मुलाकात केवल एक औपचारिक बातचीत थी या फिर इस राजनीतिक संवाद का कोई बड़ा उद्देश्य था.