गया बार एसोसिएशन के चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव प्रक्रिया को लेकर विवाद भी गहराने लगा है। शुक्रवार को गया बार एसोसिएशन के सेंट्रल हॉल में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें चुनाव के संचालन को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए निर्वाचन पदाधिकारी का चयन किया जाना था। बैठक में अधिवक्ताओं ने दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं, भीम बाबू और रतन कुमार सिंह, के नाम प्रस्तावित किए। इसके बाद एसोसिएशन के पिछले आठ वर्षों के आय-व्यय का ब्यौरा मांगा गया, जिसे निवर्तमान कमेटी ने प्रस्तुत किया। हालांकि, इस पर विवाद शुरू हो गया। अधिवक्ताओं के एक गुट ने आय-व्यय का ब्यौरा स्वीकृत कर दिया, जबकि दूसरे गुट ने इसे कथित भ्रष्टाचार और लूट का आरोप लगाते हुए अस्वीकार कर दिया। इस दौरान बैठक में तीखी बहस और हंगामा शुरू हो गया। विरोधी गुट ने निवर्तमान कमेटी को अमान्य और गैरकानूनी करार देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद निवर्तमान कमेटी ने आय-व्यय के ब्यौरे को पारित कर दिया। इसके बाद, चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए निर्वाचन पदाधिकारी का चयन करने की प्रक्रिया शुरू की गई। निवर्तमान कमेटी के समर्थक अधिवक्ताओं ने वरीय अधिवक्ता भीम बाबू के नाम को ध्वनिमत से निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में पारित कर दिया। लेकिन यह निर्णय भी विवादों में घिर गया। रतन सिंह के समर्थक अधिवक्ताओं ने इस निर्णय को अलोकतांत्रिक करार देते हुए बैठक में नारेबाजी शुरू कर दी। यहां तक कि माइक छीनने का भी आरोप लगाया गया। रतन सिंह के समर्थकों ने यह दावा किया कि भीम बाबू को निर्वाचित करने वाली निवर्तमान कमेटी ही गैरकानूनी और अमान्य है। रतन सिंह के समर्थन में लगभग 60 अधिवक्ताओं ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर करके विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने यह भी मांग की है कि भीम बाबू को निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में नियुक्त करने के निर्णय को रद्द किया जाए। दूसरी ओर, निवर्तमान कमेटी ने भीम बाबू को निर्वाचन पदाधिकारी चुने जाने की पुष्टि की है, लेकिन इसके लिए कोई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। हालांकि, गया बार एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप पर भीम बाबू के निर्वाचन की पुष्टि की गई है। इस मामले को लेकर एसोसिएशन में गहरा विभाजन दिख रहा है। रतन सिंह के समर्थकों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके निवर्तमान कमेटी और भीम बाबू की नियुक्ति को खारिज कर दिया है। वहीं, निवर्तमान कमेटी ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। चुनाव प्रक्रिया के लिए इस तरह के विवादों ने एसोसिएशन की छवि और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।