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आरजी कर मेडिकल कॉलेज केस, 57 दिनों बाद दुष्कर्म और हत्या मामले में आज सुनाया जाएगा फैसला

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RG Kar Medical College case

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह घटना 9 अगस्त 2024 की है, जब अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसके बाद हत्या का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया। इस घटना ने चिकित्सा समुदाय के साथ-साथ आम जनता को भी हिला दिया। महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में मिला था। प्रारंभिक जांच में पता चला कि उसके साथ बुरी तरह से दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह मामला न केवल चिकित्सा जगत में एक सुरक्षा संकट को उजागर करता है, बल्कि यह अस्पताल के अंदर के माहौल पर भी सवाल खड़े करता है। घटना के ठीक अगले दिन यानी 10 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने मामले का संदिग्ध मानते हुए अस्पताल के सिविक वालंटियर संजय रॉय को हिरासत में लिया। संजय रॉय, जो अस्पताल में सिविक वालंटियर के रूप में कार्यरत था, को महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मुख्य आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसके खिलाफ मजबूत सबूत जुटाने का दावा किया, जिनमें सीसीटीवी फुटेज और फोरेंसिक जांच रिपोर्ट शामिल थीं। पूछताछ के दौरान संजय ने अपना अपराध कबूल किया, और बताया गया कि उसने यह जघन्य अपराध तब किया जब पीड़िता सेमिनार हॉल में अकेली थी। इस घटना के बाद, पूरे पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों में डॉक्टरों और चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में काम बंद कर दिया और सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की। उनके समर्थन में आम जनता भी शामिल हुई। विरोध प्रदर्शन इतना तेज हो गया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले में खुद हस्तक्षेप किया। उन्होंने कोलकाता पुलिस को 7 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर मामले की जांच समय पर पूरी नहीं हुई तो इसे सीबीआई को सौंप दिया जाएगा। इस मामले ने केवल सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े नहीं किए, बल्कि अस्पताल प्रशासन पर भी भारी दबाव बनाया। घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम इस बात को स्पष्ट करता है कि अस्पताल प्रबंधन ने सुरक्षा की अनदेखी की थी। इस मामले की सुनवाई स्थानीय सियालदह अदालत में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास की अदालत में हुई। 57 दिनों तक चली सुनवाई के बाद, आज अदालत इस संवेदनशील मामले में फैसला सुनाएगी। यह फैसला न केवल पीड़िता के परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश होगा। इस घटना ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करने की जरूरत पर जोर दिया है। मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में इस तरह की घटनाएं पूरे सिस्टम की खामियों को उजागर करती हैं। आज का दिन केवल इस मामले के फैसले का नहीं, बल्कि यह सोचने का भी है कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। न्याय मिलने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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