पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के चाणक्य बॉयज हॉस्टल में सात जनवरी को लगी आग ने न केवल हॉस्टल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में चल रहे एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश भी कर दिया है। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में जो सबूत सामने आए हैं, वे इस आग को एक साधारण दुर्घटना के बजाय एक संगठित अपराध का हिस्सा बताते हैं। इस मामले में मेडिकल परीक्षा माफियाओं की गहरी संलिप्तता उजागर हो रही है, जो लंबे समय से नीट और अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में हेरफेर कर रहे थे। सीबीआई इस मामले को नीट-2024 पेपर लीक से जोड़कर देख रही है। जांच में यह संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि एक संगठित गिरोह मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा कर रहा था। अब तक 55 डॉक्टर जांच के दायरे में हैं, जिनमें से 12 डॉक्टर एम्स से एमबीबीएस कर चुके हैं। इनमें से कुछ डॉक्टरों पर आरोप है कि वे परीक्षा माफियाओं के साथ मिलकर मेडिकल छात्रों को गलत तरीके से पास कराने और प्रवेश दिलाने में शामिल थे। जांच में चाणक्य हॉस्टल के कमरे एल आर-42 की भूमिका प्रमुख रूप से सामने आई है। इस कमरे पर डॉ. अजय का अवैध कब्जा था। जांच में खुलासा हुआ है कि डॉ. अजय मेडिकल परीक्षाओं में सेटिंग कर छात्रों को पास कराने का रैकेट चला रहा था। हॉस्टल प्रशासन को इस अवैध गतिविधि की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। आग बुझने के बाद पुलिस ने कमरे की तलाशी ली, तो वहां से नीट पीजी के एडमिट कार्ड, आर्यभट्ट विश्वविद्यालय की ओएमआर शीट, लाखों रुपये के जले हुए नोट और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। पुलिस को मौके से एम्स से एमबीबीएस कर चुके तीन डॉक्टरों—डॉ. अतुल, डॉ. भागवत और डॉ. नसीम—के ब्लैंक चेक मिले। इसके अलावा, नीट पीजी 2021 और 2022 के एडमिट कार्ड भी बरामद हुए। यह स्पष्ट करता है कि यह गिरोह लंबे समय से मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी कर रहा था। मामले की जांच में यह बात सामने आई है कि गिरोह छात्रों से बड़ी रकम लेकर उनके प्रवेश की गारंटी देता था। आग की घटना को इस पूरे घोटाले को छिपाने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सबूत मिटाने के लिए जानबूझकर आग लगाई गई। हालांकि, आग में बचे हुए दस्तावेज और जले हुए नोट इस गिरोह की काली करतूतों का खुलासा करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।सीबीआई और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने कई मेडिकल कॉलेजों के छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी है। कई ठिकानों पर छापेमारी जारी है, और जल्द ही इस घोटाले में शामिल कुछ और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। पुलिस ने कहा है कि जांच के दायरे में आने वाले डॉक्टरों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस घोटाले ने मेडिकल शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे संगठित अपराधी छात्रों और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार और जांच एजेंसियों के लिए यह मामला न केवल कानूनी बल्कि नैतिक चुनौती भी है। सीबीआई और पुलिस की संयुक्त टीम ने आश्वासन दिया है कि इस घोटाले में शामिल हर व्यक्ति को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। इसके साथ ही, मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही गई है। यह मामला न केवल मेडिकल परीक्षा प्रणाली के प्रति जागरूकता पैदा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे संगठित अपराध शिक्षा क्षेत्र में भी अपनी पैठ बना चुका है। इस पूरे प्रकरण का नतीजा आने वाले दिनों में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को साफ और निष्पक्ष बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।