राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और विधायक आलोक मेहता के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी छापेमारी की है। ईडी की अलग-अलग टीमों ने पटना, समस्तीपुर, वैशाली, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कुल 16 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की। यह छापेमारी बैंक लोन से जुड़े मामलों में कथित गड़बड़ियों की जांच के सिलसिले में की गई है। आलोक मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक लोन के मामलों में अनियमितता की है, जिसकी जांच के लिए ईडी की टीम उनके विभिन्न ठिकानों पर पहुंची। आलोक मेहता बिहार की राजनीति के एक वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता हैं। वह पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं और राजद के प्रमुख नेताओं में से एक माने जाते हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, और बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के करीबी नेताओं में आलोक मेहता का नाम शामिल है। महागठबंधन सरकार में उनका प्रभाव हमेशा बना रहा है, और हर बार उन्हें पार्टी की ओर से महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई। जनवरी 2024 में महागठबंधन सरकार के गिरने से पहले, जब तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और आईएएस अधिकारी केके पाठक के बीच विवाद बढ़ा था, तो राजद ने शिक्षा विभाग आलोक मेहता को सौंपकर अपने भरोसे का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, लंबे समय तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, जो बिहार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, भी आलोक मेहता के अधीन रहा। आलोक मेहता का राजनीतिक सफर राजद के भीतर उनकी विश्वसनीयता और क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, वर्तमान में ईडी की छापेमारी ने उन्हें विवादों में घेर दिया है, और इससे उनके राजनीतिक करियर पर भी असर पड़ सकता है। मामले की जांच जारी है, और इस पर राजनीतिक व कानूनी प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है।