बिहार में शिक्षा विभाग के सामने शिक्षकों की फर्जी हाजिरी का गंभीर मामला सामने आया है.
उत्तर प्रदेश (यूपी) में रहकर बिहार के स्कूलों में उपस्थिति दर्ज कराने वाले शिक्षकों के इस गड़बड़ी भरे खेल ने प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है.
शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, और दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है.
मामला तब उजागर हुआ जब कुछ स्कूलों से शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर सवाल उठने लगे.
जांच में पाया गया कि कई शिक्षक, जो बिहार के सरकारी स्कूलों में नियुक्त हैं, असल में उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं.
वे डिजिटल माध्यमों और अन्य उपायों का सहारा लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जबकि वास्तव में स्कूलों में मौजूद नहीं हैं.
मामला तब उजागर हुआ जब कुछ स्कूलों से शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर सवाल उठने लगे.
जांच में पाया गया कि कई शिक्षक, जो बिहार के सरकारी स्कूलों में नियुक्त हैं, असल में उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं.
वे डिजिटल माध्यमों और अन्य उपायों का सहारा लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जबकि वास्तव में स्कूलों में मौजूद नहीं हैं.
शिक्षा विभाग ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार करें और उनकी गतिविधियों की जांच करें. अधिकारियों ने कहा कि यह न केवल अनुशासनहीनता का मामला है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है.
इस मामले ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता लाने की मांग को फिर से हवा दी है. स्थानीय समुदायों और अभिभावकों ने भी इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने विभाग से दोषी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
आपको बात दें कि शिक्षा विभाग ने कहा है कि प्राथमिक जांच के बाद दोषी शिक्षकों को निलंबित या बर्खास्त किया जाएगा. साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आगे से ऐसा कोई मामला न हो। विभाग ने स्कूलों की निगरानी के लिए एक नई प्रणाली लागू करने की भी बात कही है.
यह मामला बिहार में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है. शिक्षा विभाग ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा.