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फतेह बहादुर सिंह उर्फ फतेह बहादुर कुशवाहा एक बार फिर से अपने हिंदू विरोधी बयानों की वजह से चर्चे में

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Fateh Bahadur Singh alias Fateh Bahadur Kushwaha is once again in the news

17वीं बिहार विधानसभा में बिहार के विधानसभा सदस्य फतेह बहादुर सिंह जिनको फतेह बहादुर कुशवाहा के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दे की फतेह बहादुर सिंह उर्फ़ फतेह बहादुर कुशवाहा रोहतास जिले के डेहरी विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रिय जनता दल के उमीदवार चुने गए थें. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सत्यनारायण सिंह को हराया था जो की उनके सबसे नजदीक प्रतिद्वंद्वी थे.अगर उनके राजनीतिक कैरियर की बात करें तो, फतेह बहादुर सिंह अपने शुरुआती दिनों में एक व्यापारी थे, लेकिन राजनीति में उनकी रूचि इतिनी थी की वो राजनीति ओर खुद को बढ़ने से रोक नहीं पाएं. आपको बता दें की 2015 में फतेह बहादुर डेहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से टिकट पाने के इच्छुक थे, लेकिन 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों में उन्हें पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था. साल 2019 में बिहार विधानसभा में मुहम्मद इलियास हुसैन की सदस्यता रद्द होने से उनकी जगह खली हो गई जिसको भरने के लिए डेहरी निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुआ. आपको बता दें की मुहम्मद इलियास हुसैन को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में फतेह बहादुर सिंह ने सत्यनारायण सिंह यादव को 464 वोट से हराया था. लेकिन ये हमेशा से विवादों से घिरे हुए रहें हैं, जिसमे वे मुख्य पार्षद विशाखा सिंह से जुड़े विवाद में भी रहे, आपको बता दे की वे मुख्य पार्षद विशाखा सिंह से जुड़े विवाद में भी रहे हैं. उनपर राजनीतिक लाभ के लिए खुद को अत्यंत पिछड़ी जाति से संबंधित बताते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप था, हालांकि सिंह न्र इस संबंध में रोहतास जिला के मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.अक्टूबर 2023 में उन्होंने एक सार्वजानिक विवादत बयान दिया था जिसमे वे देवी दुर्गा को काल्पनिक बताते हुए ये भी कहा था की राक्षसों की सेना के साथ उनकी लड़ाई की महाकाव्य कहानियाँ भी मनगढ़ंत हैं. साथ ही दशहरा के उत्सव पर किए गए खर्च के खिलाफ सवाल भी उठाए और हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं के अस्तित्व पर ब्राह्मणवादी विचारों की निंदा भी की. हद तो तब हो गई जब वो राक्षस राज महिषासुर को यादव जाति का नायक कहा. फतेह बहादुर सिंह उर्फ़ फतेह बहादुर कुशवाहा ने सनातन धर्म पर निशाना साधते हुए ये भी कहा की जब भारत अंग्रेजों द्वारा गुलाम बनाया गया था, तो देवी दुर्गा ने इसे आजाद कराने के लिए लड़ाई क्यों नहीं लड़ी. उनके इस सार्वजनिक किसी एक धर्म को निशाने पे रखते हुए लगातार ऐसी टिप्पणियां देने के कारण और उनकर उनके इस विचारों के कारण, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उनकी आलोचना की और उनके बयान को सनातन धर्म पर हमला कहा. पर सिंह साहब उर्फ़ कुशवाहा जी यहाँ नहीं रुके वो एक बार फिर से विद्या की देवी माँ सरस्वती को देवी मानने से इनकार किया, साथ हि साथ हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रह्मांड की रचना करने वाले ब्रह्मा जी पर भी अपमानजनक टिपण्णी की और कहा की पूजा केवल चरित्रवानों की होनी चाहिए चरित्रहीनों की नहीं. इन बातों से ये स्पस्ट हो जाती है की फतेह बाहदुर को सिर्फ और सिर्फ सनातन धर्म से दिक्कत है, जबकि उनका जन्म उनका पालन पोषण एक सनातनी परिवार में ही हुआ है.