Home खेल चीन के साथ दोस्ती की राह तनाव घटाने पर होगी चर्चा

चीन के साथ दोस्ती की राह तनाव घटाने पर होगी चर्चा

19
0
The path of friendship with China will be discussed

भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की संभावनाएं नजर आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कजान में हुई मुलाकात के बाद अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए बीजिंग पहुंचे हैं।
स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव डायलॉग की बैठक डोभाल ‘स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव डायलॉग’ के तहत चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। साथ ही, दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते सुधारने का एजेंडा तय किया जाएगा।
5 साल बाद बड़ा कदम
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच करीब पांच साल से चल रहे तनाव के बाद यह पहली बार है जब भारत का कोई उच्च अधिकारी चीन की यात्रा पर गया है। एलएसी पर सैनिकों की वापसी के बाद दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है।
चीन का सकारात्मक रुख
चीन ने डोभाल की यात्रा से पहले सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा:
“चीन मतभेदों को ईमानदारी से सुलझाने के लिए तैयार है। दोनों देशों के नेता जो आम सहमति पर पहुंचे हैं, उसके आधार पर चीन और भारत एक-दूसरे के मूल हितों का सम्मान करते हुए आपसी विश्वास को मजबूत करेंगे।”
यह डायलॉग भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच है।
आखिरी बार यह डायलॉग दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुआ था।
गलवान घाटी में सीमा विवाद और घातक झड़प के बाद यह प्रक्रिया ठप हो गई थी।
पिछले तनाव और उम्मीदेंगलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में भारी तनाव आया था। व्यापार को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में रिश्ते लगभग ठप हो गए थे। अब, इस बातचीत से रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की उम्मीद है।आगे की राह

  1. सीमा विवाद पर समाधान: दोनों देश एलएसी विवाद को हल करने के लिए रोडमैप तैयार कर सकते हैं।
  2. आपसी विश्वास बहाली: बातचीत से द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास बहाली का प्रयास होगा।
  3. व्यापार और सहयोग: व्यापार के साथ अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है।
    चुनौतियां बरकरार
    हालांकि, दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और सीमा पर चीन की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताएं चुनौती बनी हुई हैं।
    डोभाल की यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय खोल सकती है, लेकिन इसके नतीजे काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेंगे कि दोनों देश आपसी सहमति पर कितना ईमानदारी से अमल करते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!